अब एफआरयू पर हर माह की 24 तारीख को मनेगा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस



  • गर्भवती की होगी मुफ्त प्रसव पूर्व जांच और दिए जायेंगे जरूरी टिप्स

लखनऊ - प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस अब हर माह की नौ तारीख के  अलावा 24 तारीख को भी सभी प्रथम संदर्भन इकाइयों (एफआरयू) पर मनाया  जाएगा | इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन-उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने संबंधित अधिकारियों को पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं |

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल  ने बताया- अभी तक हर  माह की नौ तारीख को जिला महिला चिकित्सालय सहित जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दूसरी और तीसरी तिमाही की गर्भवती की प्रशिक्षित  चिकित्सक द्वारा जांच कर उच्च जोखिम की गर्भावस्था चिन्हित की जाती हैं और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उच्च स्वास्थ्य केंद्रों पर संदर्भित भी किया जाता है|  अब हर माह की 24 तारीख को भी जनपद के 8 शहरी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों( सीएचसी) 9 ग्रामीण सीएचसी, सभी संयुक्त जिला चिकित्सालय, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और डा. राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान  जो एफआरयू हैं वहाँ  इसका आयोजन  होगा |

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सतीश यादव ने बताया - इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य  मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है| मातृ और शिशु मृत्यु का एक मुख्य कारण उच्च जोखिम गर्भावस्था का सही प्रबंधन न होना है |  इसलिए अगर सही समय से ऐसी गर्भावस्था की पहचान कर ली जाए तो मां और बच्चे की जान को बचाया जा सकता है |

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर केन्द्रों पर  गर्भवती  का पंजीकरण,  हीमोग्लोबिन  की जांच, पेशाब की जाँच, सिफलिस और एचआईवी की जाँच की जाती है | इसके अलावा  अल्ट्रा साउंड निःशुल्क किया जाता है | इसके साथ ही परिवार नियोजन के सम्बन्ध में परामर्श दिया जाता है | पहली बार प्रसवपूर्व जाँच कराने आयी गर्भवती  का आरसीएच पोर्टल पर उसी दिन पंजीकरण किया जाता है | उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को चिन्हित कर  मातृ शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड  पर एचआरपी की मुहर लगा दी जाती है एवं एचआरपी महिलाओं के प्रसव की कार्ययोजना सहित रिकॉर्ड स्वास्थ्य इकाइयों पर सुरक्षित रखे जाते हैं |  गर्भवतीके लिए जलपान व् फल आदि का  वितरण किया जाता है | गर्भवती  को अधिक दिक्कत न हो, भीड़ इकट्ठी न होने  पाये, इसलिए अधिक से अधिक काउंटर बनाए जाते हैं |