अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस(12 मई) विशेष
लखनऊ - ‘कभी हार न मानें, अंत तक प्रयास करते रहें, सफलता एक दिन अवश्य कदम चूमेगी क्योंकि सच ही कहा गया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती | जरूरत है तो सिर्फ शत प्रतिशत योगदान देने की | यह कहना है बाल महिला चिकित्सालय(बीएमसी) अलीगंज में कार्यरत नर्स कंचन का | कोविड के दौरान बेहतरीन काम करने के लिए कंचन को कोरोना योद्धा पुरस्कार से नवाजा गया है |
कंचन बताती हैं - उनको 10 साल से ऊपर हो गए हैं नर्स के रूप में काम करते हुए | लोगों का सपना होता है कि वह डॉक्टर या इंजीनियर बनें लेकिन उनका बचपन से ही यह सपना था कि नर्स बनूँ | अगर आप किसी का जीवन बचाते हैं और किसी के दर्द को कम करते हैं तो जीवन में इससे बेहतर काम नहीं हो सकता है |
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (12मई) की पूर्व संध्या पर कंचन अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि एक गर्भवती बीएमसी में प्रसव के लिए आई थी | उसे उच्च स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव के लिए संदर्भित किया गया लेकिन वह और उसका परिवार जाने के लिए तैयार नहीं हुए | इसके बाद महिला का प्रसव बीएमसी में ही कराने का निर्णय लिया गया | डाक्टर और हम सभीने मिलकर सुरक्षित प्रसव तो कराया लेकिन शिशु पूरी तरह से निढाल था | हम मुंह से सांस देते रहे और नर्सिंग की शिक्षा के दौरान जो सीखा था, उसका उपयोग किया फिर नवजात जोर से रोया | प्रसूता और नवजात दोनों सकुशल यहाँ से वापस घर गए | इस घटना से यह सीख मिली कि प्रयत्न करते रहना है, हार नहीं माननी है |
वह अपने साथियों को यही संदेश देना चाहती हैं कि सेवा देने में भेदभाव न बरतें | चाहे मरीज गरीब हो या अमीरया उनका कोई रिश्तेदार ही क्यों न हो सभी के साथ समान व्यवहार करें | हमारे लिए वह मरीज है | कोई छोटा या बड़ा नहीं |
अलीगंज बीएमसी में तैनात संध्या छह साल से इस पेशे में हैं | उनका कहना है कि वह अपने काम से संतुष्ट हैं | जब कोई मरीज अस्पताल से ठीक होकर जाता है और उन्हें दुआएं देता है तो एक अजीब सी खुशी मिलती है | हमारे लिए दिन और रात सब बराबर हैं क्योंकि दिन और रात किसी भी समय ड्यूटी लग जाती है | कर्म ही पूजा है | हम यही संदेश देना चाहते हैं कि अपने काम से प्यार करें और अपने काम के प्रति ईमानदार रहें |