- मण्डल की 1.44 से अधिक महिलाओं का सहारा बनी निराश्रित पेंशन योजना
- मिशन शक्ति 4.0 के सफल संचालन के लिए मीडिया कार्यशाला आयोजित
कानपुर - महिलाओं एवं बच्चों के विकास से ही बेहतर राष्ट्र के विकास का सपना साकार हो सकता है। सिर्फ कार्ययोजना बनाने से नहीं बल्कि संवेदनशील होकर कार्ययोजना पर अमल करने की आवश्यकता है। यह बातें बुधवार को मिशन शक्ति 4.0 के सफल संचालन के लिए सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित मण्डल स्तरीय ‘जागरूक मीडिया’ कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश के उप निदेशक पुनीत मिश्रा ने कहीं।
पुनीत मिश्रा ने बताया कि योजनाओं को धरातल पर उतारने में मिशन शक्ति अभियान बहुत ही सफ़ल साबित हुआ है। हमारा प्रयास है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़ी महिला और बच्चों तक हरसंभव मदद पहुँच सके। महिलाओं तथा बच्चों की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन के उद्देश्य से मिशन शक्ति-4 अभियान शुरू किया गया है। जिसमें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्प लाइन, बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान, बाल संरक्षण सेवाएं और निराश्रित महिला योजना के बारे में विभिन्न तरीके से जागरूक किया जा रहा है।
इस मौके पर राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश की सदस्य पूनम कपूर ने कहा कि सूबे की महिलाओं और बालिकाओं के सपनों को पंख देने का काम सरकार द्वारा चलाई जा रहीं विभिन्न योजनायें कर रहीं हैं। योजनाएं धरातल पर तो है लेकिन उनपर जागरूकता फैलाने की ज्यादा जरूरत है। वन स्टॉप सेंटर को और अधिक प्रचारित करने की जरूरत है जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोग मदद के लिए वहाँ आ सके।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग, उत्तर प्रदेश के सदस्य डॉ. प्रियरंजन आशु ने बाल श्रम को खत्म करने के लिए मीडिया की भूमिका को अहम बताया है। उन्होंने कहा कि दुकानों, ढाबों और फैक्ट्री में कार्य करने वाले छोटू (यानि छोटे बच्चा) को कम करना है। 14-18 वर्ष तक के बच्चों को उनकी पढ़ाई के टाइम में यदि माता पिता भी उनसे कार्य कराते है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है।
राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश की सदस्य रंजना शुक्ला ने साइबर क्राइम के प्रति बालिकाओं को जागरूक रहने पर जोर दिया। महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश के राज्य सलाहकार नीरज मिश्रा ने मिशन शक्ति अभियान की उपलब्धियों के बारें में बताया। उन्होंने कहा कि मण्डल में अब तक 20 हजार से अधिक बालिकाओं को मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का लाभ दिया जा चुका है, वहीं 1.44 लाख से अधिक निराश्रित महिलाओं को पेंशन दी जा रही है। कोविड के समय अपने माता पिता को खो चुके बच्चों के लिए शुरू की गई बाल सेवा योजना के तहत 724 बच्चों को लाभ दिया जा रहा है वहीं कोविड के समय कोविड से इतर जो बच्चों ने अभिभावकों को खोया है ऐसे 631 बच्चों तक मदद पहुंचायी जा रही है। वहीं कोविड के समय में बढ़े मानसिक तनाव के निवारण के लिए 51 विशषज्ञों को मण्डल स्तर पर शामिल किया गया है।
कानपुर जनपद का आकड़ा
• निराश्रित महिला पेंशन योजना में कुल लाभार्थी- 66774
• बाल सेवा योजना में लाभार्थी बच्चे- 227
• बाल सेवा योजना- सामान्य में लाभार्थी- 55
• कन्या सुमंगला योजना से लाभार्थी बालिकाएं- 22420
• पिछले 5 वर्षों में परिवार से मिलाए गए बच्चे- 1855
• पिछले 5 वर्षों में गोद लिए गए बच्चे- 58
• ‘हक की बात जिलाधिकारी के साथ’ समाधान में शामिल महिलायें- 60
कार्यशाला में इटावा और फरुखाबाद के जिला प्रोबेशन अधिकारी कानपुर व कन्नौज से संरक्षण अधिकारी, कानपुर से महिला कल्याण अधिकारी, ,महिला कल्याण विभाग के राज्य सलाहकार, मंडलीय तकनीकी सलाहकार और सीफ़ार के प्रतिनिधि मौजूद रहे।