स्वामी आत्मस्थानानन्द के जन्म शताब्दी समारोह को प्रधानमंत्री मोदी ने किया संबोधित



नई दिल्ली(डेस्क) - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से स्वामी आत्मस्थानानन्द जी के जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने स्वामी जी के साथ बिताए समय को याद करते हुए स्वामी आत्मस्थानानन्द को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'यह आयोजन कई भावनाओं और यादों से ओतप्रोत है। मुझे हमेशा उनका आशीर्वाद मिला है, उनके साथ रहने का अवसर मिला। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं अंतिम क्षण तक उनके संपर्क में रहा।'

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वामी जी ने गरीबों की सेवा, ज्ञान का प्रसार और इसके कार्य को पूजा माना। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रामकृष्ण मिशन के आदर्श हैं, मिशन मोड में काम करना, नए संस्थान बनाना और संस्थानों को मजबूत करना। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां भी ऐसे संत होते हैं, अपने आप मानवता की सेवा के केंद्र बन जाते हैं, यह बात स्वामी जी ने अपने संन्यास जीवन से साबित कर दी। श्री मोदी ने कहा कि सैकड़ों साल पहले के आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक समय में स्वामी विवेकानंद, भारत की संत परंपरा हमेशा 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का उद्घोष करती रही है। रामकृष्ण मिशन की स्थापना 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के विचार से भी जुड़ी हुई है।

प्रधानमंत्री ने पूज्य संतों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। श्री मोदी ने सभी लोगों से मानव सेवा के नेक कार्य में शामिल होने का आग्रह किया। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शताब्दी वर्ष नई ऊर्जा और नई प्रेरणा का वर्ष बनता जा रहा है और कामना की कि आजादी का अमृत महोत्सव, देश में कर्तव्य की भावना को जगाने में सफल हो।