सुपोषित की माँ कुपोषित बच्चों की माँ को पढ़ा रही हैं सुपोषण का पाठ



  • पोषण पुनर्वास केन्‍द्र की चिकित्‍सक डॉ नम्रता की अनोखी पहल
  • एनआरसी में आने वाली सुपोषित बच्‍चों की माताओं से दिलवा रहीं हैं टिप्‍स

संतकबीरनगर - अतिकुपोषित बच्‍चों को सुपोषित बनाने के लिए जिला अस्‍पताल में चल रहे एनआरसी ( पोषण व पुनर्वास केन्‍द्र ) में बच्‍चों को सुपोषित करने के लिए वहां की चिकित्‍सक डॉ नम्रता चौधरी ने नई व अनोखी पहल की है। वह कुपोषित बच्‍चों की माताओं के साथ सुपोषित बच्‍चे की माताओं से परस्‍पर संवाद करा रही हैं। इससे कुपोषित बच्‍चों की माताओं को निरन्‍तर पोषण की नई टिप्‍स मिल रही है, जो उनके बच्‍चों के पोषण में लाभदायक है।

एनआरसी में आयोजित संवाद के दौरान खलीलाबाद के चकदहीं गांव की निवासी आरती ने एनआरसी में भर्ती बच्‍चों की माताओं को बताया कि उनके 4 वर्षीय बच्‍चे समर राव की उम्र के अनुसार उसका वजन नहीं था। वह काफी सुस्‍त भी रहता था। गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विजयलक्ष्‍मी 11 जुलाई को बच्चे व उन्हें लेकर पोषण व पुनर्वास केन्‍द्र में आईं। डॉ नम्रता ने जांच के बाद पाया गया कि बच्‍चा अति कुपोषित है। सुपोषण के लिए बच्चे को एनआरसी में भर्ती कराया गया । भर्ती के समय उसका वजन 7.2 किलोग्राम था। केन्‍द्र में उनके बच्‍चे को नियमित तरीके से टाइम – टेबल के हिसाब से पोषक आहार दिए गए। केन्‍द्र में हुए इलाज के बाद उनके बच्‍चे का वजन 7.6 किलोग्राम हो गया। 26 जुलाई को उसे डिस्‍चार्ज किया गया। इसके साथ ही  पर  वह लगातार चौथे फॉलोअप के लिए आईं और अब उनके बच्‍चे का वजन 8.3 किलो हो गया है। आरती बताती हैं कि वह अपने बच्‍चे को समय – समय पर एनआरसी की पोषण विशेषज्ञ जहीरा खातून के द्वारा बतायी गयी विधि से घर में बना पौष्टिक आहार देती हैं । बीच बीच में उन्‍होने उबले हुए आलू मसलकर खिचड़ी के साथ दिया। इसके साथ ही सत्‍तू के घोल में गुड़ मिलाकर देती हैं। इस दौरान पोषण विशेषज्ञ जहीरा खातून ने यह बताया कि नई गाइडलाइन के अनुसार बच्‍चा साल भर तक बच्‍चे को मीठा और नमक दोनों ही न दिया जाय।

इस दौरान पूनम, समरीन खातून, सीता, गेना, लीलावती, अनिल कुमार, सना खातून के साथ ही साथ एनआरसी के चिकित्‍सक, पोषण विशेषज्ञ तथा अन्‍य कर्मचारी उपस्थित रहे।

एनआरसी में निशुल्‍क हैं सभी सुविधाएं : आरती बताती हैं कि एनआरसी में सारी सुविधाएं निःशुल्‍क हैं। बच्‍चे को भर्ती करने के बाद बच्‍चे को निःशुल्‍क पोषक आहार तो दिया ही जाता है। जिसका बच्‍चा जैसा होता है उस हिसाब से उसे भोजन, फल, दूध आदि दिया जाता है। बच्‍चे के साथ रहने वाले के लिए भी निःशुल्‍क भोजन की व्‍यवस्‍था है । बच्‍चा जितने दिन एनआरसी में भर्ती था उसके हिसाब से हमें प्रतिदिन के 50 रुपए मिले। यही नहीं बच्‍चे का फालोअप कराने के लिए आने पर हर बार 100 रुपए दिए जाते हैं। मेरा चार फालोअप पूरा हो गया है और मुझे 400 रुपए मिले हैं।

माताओं ने भी पूछे सवाल, मिले टिप्‍स : संवाद के दौरान केन्‍द्र में भर्ती बच्‍चों की माताओं ने भी आरती से सवाल पूछे। इस दौरान चिकित्‍सक डॉ नम्रता और पोषण विशेषज्ञ जुलैखा खातून ने दोनो पक्षों के बीच सेतु की भूमिका निभाई। केन्‍द्र में भर्ती छोटू अति कुपोषित ग्रेड – 4 की श्रेणी में है। छोटू की माँ प्रमिला ने कहा कि उनका बच्‍चा भोजन करने में आनाकानी करता है, उसे कैसे भोजन कराएं। आरती ने बताया कि बच्‍चे का भोजन रुचिकर बनाया जाय। मसलन उसमें सत्‍तू , फल आदि डाला जाय तथा वह चीजें जो बच्‍चा खाता हो उसका समावेश किया जाय तो बच्‍चा भोजन के प्रति जागरुक होगा। इसमें यह भी ध्‍यान दें कि साल भर तक के बच्‍चों को नमक व मीठा न दिया जाय ।

भर्ती बच्‍चों की माताओं के बीच चर्चा को देखकर आया विचार : डॉ नम्रता बताती हैं कि पोषण व पुनर्वास केन्‍द्र में निरीक्षण के दौरान उन्‍होने पाया कि पोषण पुनर्वास केन्‍द्र में भर्ती बच्‍चों की माताओं के बीच अक्‍सर पोषण संबंधित बातचीत चलती रहती थी। वह एक दूसरे से टिप्‍स लेती रहती थीं। मसलन बच्‍चे को क्‍या खिलाएं, कैसे उनको पोषण दें। यह देखकर उनके मन में विचार आया कि इन सारी माताओं के बच्‍चे कुपोषित हैं। ऐसे में क्‍यों न इन बच्‍चों की माताओं को सुपोषित बच्‍चों की माताओं से टिप्‍स दिलाई जाय। पोषण माह के शुरुआत में ही उन्होंने यह प्रयोग किया और बच्‍चों के फॉलोअप के लिए आने वाली माताओं से संवाद शुरु कराया। इसका बेहतर परिणाम भी सामने आया है। माताओं ने पोषण के सम्‍बन्‍ध में बहुत कुछ सीखा है। अभी तक इस तरह के 12 सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। केन्‍द्र में इस समय 8 बच्‍चे भर्ती हैं।