दस्तक के तहत डेंगू, टीबी, कोविड सहित अन्य लक्षणयुक्त मरीजों की खोज



  •  सात अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक चला यह अभियान

बाराबंकी - जनपद में विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत दस्तक अभियान सात अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक चलाया गया। इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कर्मियों ने घर घर जाकर लोगों से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लेने के साथ ही संचारी रोगों से खुद और अपने परिवार और समाज को किस प्रकार सुरक्षित रखना है की जानकारी भी दी। वहीं विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान अभी 31 अक्टूबर तक जारी रहेगा।

जिला मलेरिया अधिकार अविनाश चंद्र ने बताया कि दस्तक अभियान के दौरान डेंगू की 1205 जांचे हुई, जिसमें 120 रोगी लक्षण मिले। 831 लोग की कोविड जांच हुई, जिसमे दो लोगों में लक्षण मिले। 517 टीबी के लक्षण मिले। 3017 बुखार लक्षण वाले रोगी मिले। साथ ही 199 बच्चे अति कुपोषित मिले। उनको उपचार के लिए संदर्भित किया गया है। उन्होंने बताया कि विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान अभी 31 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान लोगों को संचारी रोगों से बचने के उपाय बताए जाएंगे साथ ही लार्वा निरोधक दवा का छिड़काव और फागिंग भी की जा रही है।

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं नोडल अधिकारी डा डीके श्रीवास्तव ने बताया कि अच्छी सेहत के लिए छोटी-छोटी आदतों पर ध्यान देना पड़ता है। लापरवाही बरतने पर एक छोटा सा मच्छर आपको डेंगू या मलेरिया जैसी घातक बीमारियां दे जाता है। डेंगू का मच्छर अन्य से अलग होता है। इसके शरीर पर काली एवं सफेद रंग की पट्टियां पाई जाती हैं। इसे टाइगर मच्छर के नाम से भी जाना जाता है। डेंगू रोग एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। मानसूनी बारिश के साथ डेंगू के मच्छरों के पनपने का मौसम होता है। इसके तहत वेक्टर जनित रोग जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया एवं दिमागी बुखार की रोकथाम के साथ ही अन्य संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सरकार इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने में पूरी तरह से जुटी है।

नोडल अधिकारी ने बताया कि आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर- घर जाकर कोविड-19, डेंगू, मलेरिया, एईएस, जेई, कालाजार, फाइलेरिया आदि के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि मच्छर जनित व संचारी रोगों से बचाव की दृष्टि से बेहतर व्यवहार अपनाने के लिए जन जागरूक किया। साथ ही गृह भ्रमण के दौरान पोस्टर, स्टिकर लगाकर जागरूक किया।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा अवधेश कुमार ने जनपदवासियों से अपील की है कि वह अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखें, जलजमाव न होने दें, जलजमाव वाले पात्रों को नष्ट कर दें, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें और पूरी आस्तीन वाली कपड़े पहनें। सीएमओ ने बताया कि जिला अस्पताल में 8 बेड का एक डेंगू वार्ड एवं 8 बेड का स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया गया है। इसके लिए अस्पताल में संबंधित दवाएं, पीपीई किट, ग्लब्स सहित अन्य जरूरी सामग्री भी उपलब्ध हैं। उनका कहना है डेंगू का पता लगाने के लिए एलाईज़ा टेस्ट कराएं।

डेगू के लक्षण व बचाव: डेंगू बीमारी की शुरूआत मादा एडीज या डेंगू के मच्छर के काटने के तीन से 5 दिनों के बाद तेज बुखार और सिरदर्द व पीठ में दर्द से होती है। शुरू के दिनों में शरीर के जोड़ों में दर्द होता है।, आंखे लाल हो जाती है। डेंगू बुखार दो से चार दिनों तक होता है उसके बाद शरीर का तापमान धीरे-धीरे अपने आप सामन्य होने लगता है। बुखार के साथ ही साथ शरीर में खून की कमी होने लगती है। डेंगू से बचने के लिए मच्छरों के प्रकोप से बचना चाहिए। गंभीर अवस्था में पेट दर्द, तेज़ सांस. मसूड़ों में खून या ख़ून की उल्टी जैसी समस्या हो सकती है। डेंगू का पता लगाने के लिए एलाईज़ा टेस्ट कराएं। इससे बचाव के लिए अपने घरों के आसपास जल न इकट्ठा होने दे। अपने शरीर को कपड़ों से ढक कर रखें, यदि आपको लगातार कई दिनों से बुखार आ रहा है, तो अपने नजदीकी स्वास्थ केंद्र में जाकर तुरंत जांच करा कर अपना समुचित इलाज कराएं।