लखनऊ - हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है | इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को निमोनिया के प्रति जागरूकता पैदा करना है | वैसे तो निमोनिया की बीमारी कभी भी हो सकती है पर आमतौर पर छोटे बच्चों को निमोनिया जल्दी हो जाता है | इस बीमारी में फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं और कफ, बुखार, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां होने लगती है| ऐसे में समय पर इलाज़ होना बेहद जरूरी है वरना थोड़ी सी लापरवाही से भी गंभीर समस्या हो सकती है |
यदि हम पाँच साल तक की आयु के बच्चों में होने वाली मृत्यु की बात करे तो एक प्रमुख कारण निमोनिया है | यूनिसेफ़ के अनुसार इससे हर साल दुनिया में 7 लाख से अधिक की मृत्यु होती है | साल 2021 में देश में पाँच साल तक की आयु के 69 फीसद बच्चों को निमोनिया संबंधी सलाह और जांच स्वास्थ्य केंद्रों पर मिली |
एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा.पियाली भट्टाचार्या बताती हैं कि इस बीमारी का पूरी तरह से उपचार संभव है और एंटीबायोटिक्स के द्वारा इसका प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है | निमोनिया में फेफड़ों का संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगस के संक्रमण से होता है | जिससे कि दोनों फेफड़ों में सूजन आ जाती है या उसमें तरल पदार्थ भर जाता है | इसके लक्षण सर्दी जुकाम के लक्षण से बहुत अधिक मिलते हैं इसलिए जब भी ऐसा कुछ लगे तो पहले इसके लक्षणों की पहचान कर लें |
डा. पियाली का कहना है कि बच्चों में निमोनिया का मुख्य कारण कम वजन का होना, कुपोषण, प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना , छह माह तक केवल स्तनपान न कराया जाना, घरेलू प्रदूषण , टीकाकरण न होना तथा जन्मजात विकृतियाँ जैसी हृदय संबंधी, अस्थमा, कटे होंठ एवं तालू होना है |पाँच साल तक की आयु के बच्चों में, 15 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है |
डा. पियाली बताती हैं कि निमोनिया से बचाव के लिए न्यूमोकोकलकोन्जुगेट (पीसीवी) का टीका लगवाना चाहिए | यह बच्चे को डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह और 15 माह में लगाए जाते हैं | इसके साथ ही समय से इन्फ्लुएंजा व खसरे का टीका लगवाना चाहिए | यह भी निमोनिया से बचाव करता है |
साथ ही घर व आस-पास सफाई, पीने का साफ पानी होना चाहिए, घर प्रदूषण मुक्त होना चाहिए | इसके अलावा केवल स्तनपान समुचित पूरक आहार का सेवन, संतुलित और पौष्टिक आहार, विटामिन ए की दवा का सेवन कराना चाहिए | इससे निमोनिया सहित कई बीमारियों से बचाया जा सकता है | सर्दी का मौसम आ गया है | ऐसे में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है | थोड़ी सी लापरवाही निमोनिया बीमारी को दस्तक दे सकती है |
बच्चों को ठंड से बचाएँ | बच्चे की सांस यदि तेज चले,कफ की आवाज आए तो निमोनिया हो सकता है | निमोनिया के अन्य लक्षणों में सामान्य से तेज़ सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंग के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी हैं |