- राष्ट्रीय नवजात देखभाल सप्ताह (15 से 21 नवंबर) पर विशेष
- तीन बातों का पहले दिन से ही रखें ध्यान
- नवजात को शीघ्र और केवल स्तनपान कराएं
- नाल पर कुछ न लगाएँ
- सात दिन बाद ही नवजात को नहलाएं
लखनऊ - चारबाग निवासी नूपुर ने चिकित्सक की सलाह के अनुसार जन्म के बाद नवजात को पहले ही दिन से स्तनपान कराया | बच्चा ऑपरेशन से हुआ था इसलिए नवजात को स्तनपान कराने में शुरू के दो दिन उन्हें कुछ समस्या हुई लेकिन उन्होंने माँ और अस्पताल में नर्स की मदद से कटोरी में दूध निकालकर नवजात को पिलाया और छ माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराया | नूपुर बताती हैं कि बच्चे के जन्म की शुरुआत में बच्चा जब भी रोता तो सास कहतीं कि स्तनपान से बच्चे का पेट नहीं भर रहा है उसे ऊपर का भी दूध दो लेकिन मैं और मेरे पति ने ऐसा करने से मना कर दिया और चिकित्सक केबताएं अनुसार छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराया और छह माह पूरे होते ही पूरक आहार देना शुरू किया | आज मेरा बच्चा एक साल दो महीने का है और बिल्कुल स्वस्थ है |
बच्चे का पहला दिन हर माँ-बाप और परिवार वालों के लिए बहुत ही खास होता है | बच्चे बहुत ही नाजुक और कोमल होते हैं | शुरूआत के कुछ महीने तो उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है | शिशु तभी स्वस्थ रहेगा जब उसकी देखभाल सही तरीके से होगी | इसके लिए आवश्यक है कि उसे बाहरी संक्रमण से बचाया जाए क्योंकि शिशु को संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है | इसलिए पहले दिन से ही तीन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए |
नवजात स्वास्थ्य के राज्य स्तरीय प्रशिक्षक एवं रानी अवन्तीबाई जिला महिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. सलमान ने बताया कि सबसे पहले नवजात को संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है कि उसे शीघ्र स्तनपान कराएं | नवजात को पीला गाढ़ा दूध जिसे कोलस्ट्रम या खीस कहते हैं उसे अवश्य दें | इसे बहुत से लोग खराब या बासी समझकर फेंक देते हैं पर बच्चे के लिए यह पहला टीका होता है | स्तनपान से पहले नवजात को चीनी या गुड़ का पानी, मिसरी का घोल शहद, बकरी का दूध या घुट्टी न दें |
डा. सलमान के अनुसार - दूसरी बात बच्चे की नाल को साफ एवं सूखा रखें | नाल पर कुछ भी न लगायें क्योंकि कुछ भी लगाने से संक्रमण हो सकता है | नाल को अपने आप सूखकर गिरने दें | नाल पर हल्दी, घी, पाउडर और तेल कुछ भी न लगाएं | नाल में कोई भी फर्क दिखे जैसे नाल से मवाद या खून निकले, बदबू आए या सूजन हो तो शिशु को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं |
तीसरी बात कि बच्चे को सात दिन तक नहलायेँ नहीं क्योंकि नवजात नौ माह बाद माँ के गर्भ से बाहर आता है उसे नए वातावरण में ढ़लने के लिए कुछ समय चाहिए | उसके शारीरिक तापमान में कोई कमी न आए | उसे गुनगुने पानी और साफ कपड़े से पोंछें | कम वजन के नवजात को तब तक न नहलाएं जब तक उसका वजन दो किलोग्राम न हो जाए |