गोरखनाथ मेले में टीबी जाँच की सुविधा, लक्षण नजर आएं तो जाँच जरूर कराएँ



  • रंग ला रही पहल : स्क्रीनिंग के साथ ही लिए जा रहे सैम्पल

गोरखपुर -  दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी-बुखार बना हो, रात में पसीने के साथ बुखार चढ़ता हो,  कमजोरी और थकान महसूस होती हो, भूख न लगती हो, वजन तेजी से घट रहा हो और खांसी के साथ बलगम में खून आता हो तो यह क्षय रोग यानि टीबी के लक्षण  हो सकते हैं  । ऐसे मरीजों की स्क्रीनिंग और टीबी जांच की व्यवस्था  गोरखनाथ में एक माह तक चलने वाले खिचड़ी मेले में की गयी है। यह पहल पिछले साल की गयी थी  । मेले में संभावित मरीजों की पहचान कर उनके बलगम के नमूने भी लिये जा रहे हैं ।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि 13 से 30 जनवरी तक सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक मेले में टीबी स्क्रीनिंग  की सुविधा उपलब्ध है । संभावित मरीज मिलने पर मरीज की सुविधानुसार बलगम इकट्ठा कराया जा रहा है।  स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से टीबी स्क्रीनिंग  की जा रही है और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा एवं मिर्जा आफताब बेग को दी गयी है। अभी तक 47 लोगों की स्क्रीनिंग  की गयी जिसमें से तीन संभावित टीबी मरीज मिले। तीनों का बलगम ले लिया गया है।

गोरखनाथ क्षेत्र के रहने वाले सुभाष (45) ने बताया कि मंदिर में जाने पर उन्होंने टीबी इकाई  का स्टॉल देखा, जिस पर लिखा था कि लगातार आने वाली खांसी टीबी भी हो सकती है। वहां पहुंच कर स्वास्थ्यकर्मियों को बताया कि उन्हें भी केवल रात में खांसी आती है। दवा लेने पर ठीक हो जाती है और फिर खांसी आने लगती है। उनके लक्षणों के आधार पर जिला क्षय रोग केंद्र बुला कर उनका बलगम जमा कराया गया है। रिपोर्ट आनी अभी बाकी है । मेले में यह  प्रचार किया जा रहा है कि दो सप्ताह से अधिक की खांसी टीबी भी हो सकती है।

झोले बांट कर समुदाय तक संदेश पहुंचाने का प्रयास : राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मेले के दुकानदारों के बीच झोले भी बांटे जा रहे हैं जिन पर क्षय  उन्मूलन के प्रमुख संदेश व इलाज की व्यवस्था के बारे में जानकारी लिखी गयी है। डीटीओ ने बताया कि 4000 झोले बांटे जा चुके हैं और 6000 झोले और भी बांटे जाएंगे। दुकानदारों को झोले देकर बताया जा रहा है कि ग्राहक को सामान झोले में ही दें ताकि उनके घर तक टीबी उन्मूलन का संदेश जाए ।

पिछले साल तीन मरीज ढूंढे गये थे : डॉ यादव ने बताया कि पिछले वर्ष के खिचड़ी मेले में 152 मरीजों की स्क्रीनिंग  की गयी थी और उनमें से 12 टीबी के संभावित मरीजों के बलगम की जांच की गयी। तीन मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई। उनका इलाज किया गया और तीनों मरीज स्वस्थ हो चुके हैं । इलाज चलने तक पोषण के लिए उन्हें प्रति माह 500 रुपये भी दिये गये।