लखनऊ, 13 जून 2019 । रक्तदान को महादान की श्रेणी में यूं ही नहीं रखा गया है, बल्कि यह वह महादान है जो वास्तव में लोगों को जीवनदान देने की ताकत रखता है। इस हकीकत को बहुत ही करीब से जान चुके जालौन के राजीव गोयल ने बाकायदा ब्लड कमांडो नाम से एक संस्था ही बना रखी है, जो कि किसी भी वक्त और कहीं पर भी जरूरत के मुताबिक रक्तदान करने को तत्पर रहती है। उनके इस प्रयास का ही नतीजा रहा कि वह अब तक 60 लोगों की जान बचा चुके हैं। उन्होने 49 लोगों को खून देकर तो 21 लोगों को प्लेटलेट्स देकर नया जीवन दिया है। एक शहर से शुरू हुई उनकी यह मुहिम अब प्रदेश के कई शहरों में रंग ला रही है। शहरों में उनकी संस्था ब्लड कमांडों की टीम सदैव तत्पर नजर आती है। इसके लिए उन्होने हेल्पलाइन भी बना रखी है, जिसके नंबर 9721333325 और 8808026444 हैं।
वर्तमान में फ़र्रुखाबाद जनपद में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात राजीव गोयल ने अपनी इस मुहिम की शुरुआत जालौन से की थी। उनकी इस मुहिम की शुरुआत भी अपने सामने पेश आए एक ऐसे वाकये से हुई थी जब वर्ष 2004 में उनके पिता के आंत के ऑपरेशन के लिए आठ बोतल खून की जरूरत आन पड़ी थी। वह बताते हैं कि पिता का ब्लड ग्रुप एबी पॉज़िटिव था और उनका और उनके भाइयों में किसी का भी ब्लड ग्रुप एबी पॉज़िटिव नहीं था। ऐसे में मित्रों और अन्य करीबियों के सहयोग से उन्होने खून एकत्रित किया, जिससे पिता का सफल ऑपरेशन हो सका। इस वाकये से राजीव को एक बड़ी सीख मिली कि यह एक ऐसी जरूरत है जो कि कभी भी और किसी को भी पड़ सकती है। इसके बाद से तो उन्होने ठान ही लिया कि अब वह कुछ ऐसा करेंगे ताकि खून न मिलने के चलते किसी की भी जान न जाने पाये। उस समय से उन्होने रक्तदान करने की ठान ली और जरूरतमंदों को खून देने लगे। वर्ष 2004 से शुरू हुई यह पहल आज प्रदेश भर में चल रही है। अब वह समय-समय पर विभिन्न जिलों में रक्तदान शिविर भी आयोजित करते हैं ताकि लोगों को जरूरत के समय खून मिल सके। वह देश में चल रहे इस तरह के कई समूहों से भी जुड़े हुए हैं। इन समूहों को जब भी जिस जगह रक्त की आवश्यकता पड़ती है, राजीव पूरा प्रयास करते हैं कि उनको उसी वक्त वहाँ पर खून मुहैया कराया जा सके। इसके लिए उनको प्रदेश के कई रक्त समूहों ने सम्मानित भी किया है।
अपने जीवन के एक अनुभव को साझा करते हुए राजीव बताते हैं कि एक बार उरई के पास एक व्यक्ति का एक्सिडेंट हो गया था जिसमें उसकी टांग कट गई थी, पुलिस के सहयोग से बेहोशी की हालत में उन्होने उसे अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टर ने तत्काल ऑपरेशन की बात कही और खून का इंतजाम करने को कहा। उन्होने अपना खून देकर उस व्यक्ति की जान बचाई। अब तो इस तरह का कार्य उनकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। उनके लिए तो यह कोई बड़ी बात नही थी लेकिन जब वह व्यक्ति सही होने के एक माह बाद ढूंढते हुए आया और पैरों पर गिरकर जान बचाने के लिए शुक्रिया अदा करने लगा। उसको तत्काल उठाकर मैंने गले लगाया और कहा कि मैंने तो सिर्फ अपना फर्ज निभाया था। उसके जाने के बाद मुझे लगा कि क्या वाकई मैंने इतना बड़ा काम किया था उस दिन। यह वही क्षण था जब उनके मन में ब्लड कमांडो संस्था बनाने का ख्याल आया और उसी समय एक समूह की स्थापना की, जो कि आज कई शहरों में मुस्तैदी से काम कर रहा है।
व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े हैं जिलों के लोग : राजीव ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में उनकी संस्था के सदस्य हैं, जो कि व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये आपस में जुड़े हैं। वर्तमान में जालौन में करीब 300 लोग उनकी संस्था से जुड़े हैं। इसके अलावा लखनऊ में 100, कानपुर में 50, झाँसी में 50, इलाहाबाद में 10, फ़र्रुखाबाद में 150, बिजनौर में 25 और अन्य जिलों में भी लोग संस्था से जुड़े हैं जो कि कभी भी जरूरत पड़ने पर खून देने के लिए तैयार रहते हैं।