जितनी सरकार ने सुविधाएं दी हैं अगर हम उनका उपयोग कर लें तो हमें अस्पताल ही नहीं जाना पड़ेगा”, यह कहना है उन्नाव जिले के सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के बंथर निवासी बत्तीस वर्षीय रामू का, जो कि पेशे से मजदूर हैं | रामू एक जिम्मेदार पिता व पति हैं |
कैसे आइये जानते हैं.......
रामू बताते हैं कि उनके दो बच्चे हैं , जब उनकी पत्नी प्रियंका दूसरी बार गर्भवती हुईं तो पांचवे महीने में प्रियंका का हीमोग्लोबिन 5.6 निकला | गाँव की आशा मीना ने प्रियंका को खान-पान व आयरन गोली के बारे में बताया तो प्रियंका ने कहा कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, मेरे पति जब घर पर हों तब आकर उन्हें बताना | आशा ने यह बात उसी गाँव में रहने वाली आशा संगिनी अनीता को बताई | अनीता दीदी 2-3 बार मेरे घर आयीं किन्तु मेरी मुलाक़ात नहीं हो पायी | जब एक दिन मेरी मुलाक़ात अनीता दीदी से हुयी तो उन्होने बताया कि तुम्हारी पत्नी के शरीर में खून की बहुत ज्यादा कमी है, अगर तुमने अभी इस पर ध्यान नहीं दिया तो हो सकता है कि प्रसव के समय माँ व बच्चे की जान को भी खतरा हो जाये या तुम्हारी पत्नी को खून चढ़ाना पड़ जाये परंतु बिना अतिरिक्त खर्च के तुम सिर्फ खान पान पर ध्यान दे के ही अपनी पत्नी का हिमोग्लोबिन बढ़ा सकते हो | अनीता दीदी ने बताया कि तुम अपनी पत्नी के खाने में 5 तरह के खाद्य पदार्थ जैसे गाढ़ी पीली दालें, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दूध व दूध से बने पदार्थ, पीले नारंगी गूदेदार फल, मांस मछली व अंडे को शामिल करो और यदि मांस या अंडे का सेवन नहीं करते हो तो उसकी जगह दूध की मात्रा बढ़ा सकते हो | इसके साथ ही साथ आयरन व कैल्शियम की गोली का नियमित रूप से सेवन करने के लिए प्रेरित करो | आयरन से जहां पत्नी का हीमोग्लोबिन बढ़ेगा वहीं बच्चे का दिमाग तेज होगा और कैल्शियम से बच्चे की हड्डियाँ मजबूत होंगी | विभिन रंगों के खाद्य पदार्थ को लेकर लाओ, यह ध्यान दो कि वह नियमित रूप से खाना, आयरन व कैल्शियम की गोलियां खा रही है या नहीं | इसके साथ ही साथ दीदी ने एक कैलेण्डर भी दिया जिसमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों की तस्वीर थी तथा कितनी बार व कितना खाने का सेवन करना है इसकी तस्वीर बनी थी | दीदी ने एक सारणी में वजन व आयरन, कैल्शियम की गोलियों के सेवन का विवरण भरने को कहा | हमनें उसी कैलेण्डर का पालन किया व सारणी में उपरोक्त विवरण भरा |
रामू बताते हैं कि दीदी की बात सुनी तो हमें यह समझ में आया कि अगर हम उनकी बातों को अमल में लाते हैं तो मेरी पत्नी स्वस्थ रहेगी और हमें इसमें कुछ पैसा भी नहीं खर्च करना होगा क्यूंकि सब्जियाँ हम अपने खेत में ही उगाते हैं व आयरन, कैल्शियम हमें अस्पताल से मिल जाती है | यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो आगे चलकर माँ व बच्चे को दिक्कत भी होगी और यदि खून चढ़ाना पड़ा तो पैसा भी बहुत खर्च होगा | मैनें दीदी की बात पर अमल किया जिसका परिणाम यह हुआ कि पांचवे महीने में जहां मेरी पत्नी का वजन 45 किग्रा. व हीमोग्लोबिन 5.6 था वहीं नवें महीने में वजन 51 किग्रा. व हीमोग्लोबिन 9.4 हो गया | प्रसव भी सामान्य हुआ तथा माँ व बच्ची दोनों ही स्वस्थ हैं | मैं तो कहूँगा कि सभी को दीदी लोगों की बात माननी चाहिए | मैं तो अपनी पूरी रिश्तेदारी में यह बात बताता हूँ | संगनी अनीता और आशा का कहना है कि जब से आई0पी0ई ग्लोबल के द्वारा संचालित मातृ पोषण परियोजना में प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया है हम पूरी तत्परता से गर्भवती महिलाओं की सेवा में लगे है और समुदाय से भी अपेक्षित सहयोग मिलने लगा है इसके लिए परियोजना के राज्य समन्वयक मनीष शर्मा जी का हम सभी बहुत धन्यवाद करना चाहते है।-सूत्र