लखनऊ , 31 जुलाई, 2019-सम्पूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रथम पंक्ति की कार्यकर्ताओं (एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी ) को आईपीसी (इंटर पर्सनल कम्युनिकेशन) ब्रिज (बूस्टिंग रूटीन इम्यूनाईसेशन डिमांड जेनेरेशन) कोर्स के तहत सशक्त बनाया जा रहा है। इसके तहत मोहनलालगंज, गोसाईगंज व काकोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया |
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि आईपीसी ब्रिज कोर्स का प्रशिक्षण एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए है| यह कार्यकर्ता स्वाथ्य सेवाओं व समुदाय के बीच एक ब्रिज यानि पुल के समान हैं, जिनके माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएँ समुदाय तक पहुँचती हैं | यह प्रशिक्षण कार्यक्रम नियमित टीकाकरण में और अधिक तेजी लाने को लेकर है | इस क्रम में जनपद के सभी आठ ब्लॉक माल, मलिहाबाद, काकोरी, गोसाईगंज, बक्शी का तालाब और मोहनलालगंज के ब्लॉक कार्यालय में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यकम का आयोजन किया जाएगा | इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का क्षमतावर्धन कर शत प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना है |
आईपीसी ब्रिज कोर्स के नोडल व जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सबसे पहले एएनएम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है | इसके बाद आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा | जहां एएनएम टीकाकरण करती है वहीं वह इसके संबंध में समुदाय को परामर्श भी देती हैं | स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय तक पहुंचाने में एएनएम की भूमिका महत्वपूर्ण है | एएनएम को चाहिए कि वह अधिक से अधिक लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करें | आशा वह बिन्दु है जहां से समुदाय को टीकाकरण के संबंध में जानकारी मिलती है और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिला व बच्चों को केंद्र तक लाने का काम करती हैं | इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ट्रिपल ए (आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम) को टीकाकरण के समय कुशल व्यवहार के लिए प्रेरित करना है |
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एम. के. सिंह ने कहा कि एएनएम के लिए यह जरूरी है कि वह समुदाय में विश्वास पैदा करें | उन्हें टीकाकरण के बाद किसी समस्या के उत्पन्न होने वाली किसी भी विपरीत चिकित्सीय घटना व उसके समाधान के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए |
प्रशिक्षक एवं स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शशिभूषण ने कहा कि टीकाकरण के समय एएनएम को अभिभावकों को यह बताना चाहिए कि उनके बच्चे को कौन सा टीका लगा है | इस टीके के क्या प्रभाव हो सकते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है, इस बारे में भी बताना चाहिए | यह टीका कौन कौन सी बीमारियों से बचाता है | एएनएम, को अभिभावकों की जिज्ञासाओं का समाधान भी करना चाहिए | टीकाकरण के बाद अभिभावकों का धन्यवाद भी करना चाहिए | टीकाकरण कार्ड पर अपना संपर्क नंबर भी शेयर करना चाहिए ताकि इसी समस्या के आने पर उनका समाधान हो सके | अभिभावक टीकाकरण कार्ड को संभाल कर रखें | जब भी केंद्र पर टीकाकरण के लिए आयें यह कार्ड लेकर अवश्य आयें |
बच्चे को लगने वाले टीके :
बीसीजी, हेपेटाइटिस बी-जन्म के समय, ओपीवी, ओपीवी-1,2,3, पेंटावेलेंट-1,2,3, रोटा वायरस, आईपीवी, मीजल्स-रूबेला, पीसीवी जेई, विटामिन ए की पहली खुराक |
कब-कब टीके लगाए जाते हैं ?
बीसीजी का टीका जन्म के समय या जितनी जल्दी संभव हो एक वर्ष तक | हेपेटाइटिस बी की खुराक जन्म के समय व इसके डेढ़, ढाई व साढ़े तीन महीने पर पेंटावालेंट -1,2,3 के टीके लगते हैं और 9 माह के पूरा होने -12 माह तक मीजल्स-रूबेला के टीके लगाए जाते हैं | यह टीके बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं |