स्तनपान से शिशु मृत्यु दर में 20 फीसद कमी संभव आशा आंगनवाड़ी घर-घर बतायेंगी माँ के दूध का महत्त्व चार “स” से बताए स्तनपान कराने की सही स्थिति



कानपुर 6 अगस्त 2019-विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष्य में सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को स्तनपान के लिए लोगों में कैसे जागरूकता फैलाई जाए, इसके संबंध में बताया गया। कार्यशाला का संचालन कर रहे अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल, डॉ॰ राजेश कटियार ने बताया कि स्तनपान सिर्फ शिशु स्वास्थ्य के लिए नहीं बल्कि माँ के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी हैं।

पुरानी कुरीतियों के चलते प्रसव के बाद अक्सर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध शिशु को नहीं पिलाया जाता है। इसके बदले में बच्चों को अक्सर शहद या अन्य चीजे दे दी जाती है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल, डॉ॰ राजेश कटियार ने बताया शिशु को जन्म के तुरंत बाद शहद देने से रोकने के लिए प्रसवोत्तर वार्ड में प्रसूता के परिजनों के बैग जाँचने का भी प्रावधान है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक शुक्ला का कहना है कि स्तनपान कराने वाली धात्री माँ को प्रत्येक स्तर पर पूर्ण सहयोग प्रदान करके ही हम स्वस्थ शिशु की कल्पना कर सकते हैं। इसके लिए जरुरी है कि परिवार, समुदाय और कार्य स्थल सभी स्थानों पर माँ को पूर्ण सहयोग दिया जाए तथा उसे छह माह तक केवल स्तनपान कराने हेतु प्रेरित किया जाए। इसके साथ ही आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी घर-परिवार में जाकर धात्री माँ और शिशु को स्तनपान कराने में मदद करें। आंगनबाड़ी केंद्र पर या ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर सत्र के दौरान भी माताओं को स्तनपान के महत्त्व की जानकारी दे सकती हैं। 

जन्म से एक घंटे के अंदर स्तनपान बेहद ज़रूरी-

कार्यशाला में जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ शिव कुमार ने बताया जब बच्चा पैदा होता है उस समय वह सबसे अधिक एक्टिव होता है और इस स्थिति में “सकिंग रिफ्लैक्स” और “रूटिंग रिफ्लैक्स” सबसे अधिक सक्रिय होते है। यही समय होता है जब शिशु को हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) से बचाव किया जा सकता है। माँ का दूध जहाँ शिशु को शारीरिक व मानसिक विकास प्रदान करता है वहीं उसे डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाता भी है। 
चार “स” से बतायी गयी स्तनपान कराने की सही स्थिति I

न्युट्रिशन इंटरनेशनल संस्था के मंडलीय समन्वयक, डॉ मनीष मिश्रा ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से चार “स” से स्तनपान के लिए सही स्थिति बताई। उन्होने बताया पहले ‘स’ से सीधा– शिशु का सिर सीधा रखना, दूसरे ‘स’ से सहारा– शिशु को स्तनपान करते समय कोई सहारा देना, तीसरा ‘स’ से समीप- स्तनपान कराते समय शिशु का मुख और माँ पर्याप्त समीप होना, और चौथे ‘स’ से अभिप्राय है सामने– स्तनपान कराते समय शिशु का मुख माँ के सामने होना।

उक्त कार्यशाला में जिला क्षयरोग अधिकारी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, नोडल आरबीएसके, शहरी स्वास्थ्य के जिला समन्वयक, डीपीएम, डीसीपीएम, जिला स्वाथ्य शिक्षा सूचना अधिकारी के साथ ही यूनिसेफ, पीएसआई व न्युट्रिशन इंटरनेशनल के जिला प्रतिनिधि और शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के सभी स्वास्थ्य अधिकारी व प्रतिनिधि मौजूद रहें।