शुरुआत से ही अच्छा भोजन, करे शिशु के जीवन को रोशन



लखनऊ, 21 अगस्त- माँ का दूध 6 माह तक बच्चे के लिए सम्पूर्ण भोजन होता है वहीं 6  महीने के बाद बच्चे को वृद्धि एवं विकास के लिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की आवश्यकता होती है | राज्य पोषण मिशन की महानिदेशक मोनिका एस० गर्ग ने पूरक आहार पर विशेष ध्यान देने के लिए सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों व प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र जारी किया है |
पत्र के अनुसार बच्चों के सर्वांगीण विकास  में जीवन के 1000 दिनों का बहुत महत्त्व होता है | विकास एवं वृद्धि का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ सही पोषण होता है |  बच्चों में कुपोषण की समस्या 6  माह से 2 वर्ष के मध्य ज्यादा देखने को मिलती है | इस समय बच्चे में संक्रमण जैसे डायरिया, निमोनिया का खतरा भी अधिक होता है  |  कुपोषण व् बीमारी से बचाव के लिए सही आहार व् व्यवहार अत्यंत आवश्यक है |

पत्र में निर्देश दिये गए हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता / मुख्य सेविका अन्नप्राशन कार्यक्रम में 10-15 ऐसी महिलाओं को केंद्र पर बुलाएंगी जिनके 2 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं | 6-8 माह की आयु का जो भी बच्चा स्वस्थ होगा उसकी माँ की प्रशंसा करते हुए अन्य महिलाओं को उसके द्वारा बच्चे को दिए जा रहे खान पान के बारे में बताया जाये | सभी माताओं से मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड लाने को कहा जाए और उसमें वृद्धि कार्ड को अवश्य भरे | माताओं को पोषण व् वृद्धि के बीच सम्बन्ध को बताना है तथा उनके द्वारा अपने बच्चे की वृद्धि निगरानी करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है | माताओं को इस बात की जानकारी देनी है कि उपरी आहार को बनाते समय एवं अपने बच्चे को खाना खिलाते समय विशेष साफ़ सफाई रखें | इसके साथ ही साथ माताओं से इस बात पर चर्चा अवश्य करें कि बीमारी के समय स्तनपान और ऊपरी आहार अवश्य देना है | स्तनपान जारी रखना है | बच्चे को उसकी इच्छा के अनुसार खाना दें | उसको थोड़ा-थोड़ा किन्तु बार-बार आहार दें | भोजन बनाने व बच्चे को खिलाने से पहले साबुन से हाथ अवश्य धोएं | इसके अतिरिक्त पूरक आहार खिलाने में माता पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, इस विषय पर चर्चा अवश्य करें |

गृह भ्रमण करते समय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मुख्य सेविका को इस बात आंकलन व् मुलायांकन करना है कि क्या बच्चे को ऊपरी आहार देने की शुरुआत कर दी गयी है, यदि कर दी गयी है तो उसे क्या खाने को दिया जा रहा है | इस पर बच्चे की माँ से बने हुए भोजन के बारे में बात करें | यह देखें कि भोजन कितना गाढ़ा या पतला है |  बच्चे को उसकी आयु के अनुसार कितना और कब-कब भोजन व् नाश्ता दिया जा रहा है इस विषय में माँ या परिवार के अन्य सदस्यों से जानकारी प्राप्त करेंगे | इस बात का आंकलन भी अवश्य करना है कि घर में हाथ धोने के लिए साबुन है या नहीं | | इस दौरान पोषाहार से बने व्यंजनों को भी प्रदर्शित किया जा सकता है तथा इनके बारे में चर्चा की जा सकती है | इसके साथ ही साथ पूरक आहार के सम्बन्ध में एक आहार निर्देशिका जारी की गयी है इसका उपयोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व् मुख्य सेविका गृह भ्रमण व् बैठकों के दौरान चर्चा करते समय ज्यादा से ज्यादा करें |