क्षय उन्मूलन में बड़ी भूमिका निभाएगा टीबी से स्वस्थ हुए मरीजों का नेटवर्क



  • अनुभवों को साझा कर मरीजों के मददगार बनेंगे टीबी चैम्पियन
  • यूपी टीबी एलीमिनेशन फोर्स के गोरखपुर चैप्टर की  लांचिंग

गोरखपुर - टीबी से स्वस्थ हुआ व्यक्ति (टीबी सर्वाइवर) ही बीमारी के दौरान की सही स्थितियों और दिक्कतों को बता सकता है।जब वह किसी टीबी मरीज को अपनी आपबीती बता कर समझाता है कि यह रोग नियमित इलाज और सही खानपान से ठीक हो जाता है तो नये मरीज का भरोसा बढ़ता है । इससे टीबी मरीज का स्वास्थ्य प्रणाली से जुड़ाव होता है और ठीक होने की राह आसान हो जाती है । यही वजह है कि जिले में टीबी सर्वाइवर्स का मजबूत नेटवर्क तैयार किया जाना चाहिए । इन्हीं में से सहमति के आधार पर नये टीबी चैम्पियन भी बनाए जा सकते हैं । यह बातें जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने यूपी टीबी एलीमिनेशन फोर्स के गोरखपुर चैप्टर के लांचिंग के मौके पर मंगलवार को जिला क्षय रोग केंद्र में कहीं । स्वयंसेवी संस्था वर्ल्ड विजन इंडिया की मदद से इस फोर्स के जरिये जिले में नेटवर्क तैयार कर टीबी रोगियों की मदद की जाएगी।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा कि क्षय  उन्मूलन की एक प्रमुख बाधा भेदभाव भी है । ऐसे माहौल में जब कोई चैम्पियन समाज के सामने खुल कर आता है और लोगों को टीबी के सभी पहलुओं के बारे में जागरूक करता है तो व्यवहार परिवर्तन की राह आसान हो जाती है । लक्षणों के बावजूद टीबी को छिपाने वाले लोग खुल कर इलाज के लिए सामने आते हैं और स्वास्थ्य सेवाओं एवं कार्यक्रमों का लाभ पाते हैं। जब टीबी सर्वाइवर नये मरीजों को अपनी कहानी सुना कर विश्वास दिलाता है कि टीबी के इलाज में उसने चुनौतियों को कैसे स्वीकार किया और किस तरह प्रबन्धन कर ठीक हो गया तो इसका  सकारात्मक असर पड़ता है । एलीमिनेशन फोर्स का गोरखपुर चैप्टर ऐसे ही सर्वाइवर्स और चैम्पियंस का नेटवर्क होगा जो पूरे जिले में टीबी मरीजों की मदद करेगा। यह नेटवर्क जिले के करीब 9000 इलाज पर चल रहे टीबी मरीजों के लिए मददगार साबित होगा ।

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव ने कहा कि नेटवर्क की जिम्मेदारी है कि टीबी मरीज को स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी जानकारी दें । उन्हें बताएं कि दवा का पूरा कोर्स बहुत जरूरी है। निक्षय पोषण योजना के साथ ही  जांच, इलाज, पोषण, सामाजिक सुरक्षा, सहरुग्णता की जांच और परामर्श की सुविधाओं के बारे में पूरी जानकारी दें जो कि सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली में उपलब्ध हैं। अगर टीबी मरीज निजी चिकित्सक से इलाज करवा रहे हैं तो भी निजी चिकित्सक की सहमति से सरकारी सुविधा का लाभ ले सकते हैं ।

वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के जिला समन्वयक शक्ति पांडेय ने बताया कि पंद्रह जिलों के जिला चैप्टर की मदद से स्टेट लेवल का नेटवर्क भी तैयार करने की योजना है । गोरखपुर जिला चैप्टर में 20 टीबी चैम्पियन जुड़े हुए हैं और इसमें सर्वाइवर्स को भी जोड़ा जा रहा है ।

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र और राजेश सिंह समेत जिले के सभी टीबी चैम्पियन मौजूद रहे ।

दी जाती है पूरी जानकारी : टीबी चैम्पियन सुमित प्रजापति ने बताया कि नये टीबी मरीजों से सम्पर्क कर उनका हालचाल लिया जाता है और उन्हें सरकारी व्यवस्था में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दी जाती है । निक्षय पोषण योजना में पंजीकरण नहीं है तो  बताया जाता है कि सीनियर  ट्रीटमेंट सुपरवाइजर से मिलकर पंजीकरण करवा लें। इससे इलाज चलने तक 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए भी मिलेंगे। अब स्वस्थ हो चुके मरीजों का मजबूत नेटवर्क तैयार कर ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों की मदद की जानी है।