स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता की मिसाल बना हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जैनपुर



  • कायाकल्प सर्टिफाइट सेंटर अब एनक्वास की प्रतिस्पर्धा में
  • प्रति माह होती है पांच सौ की ओपीडी, कभी जलजमाव से घिरा रहता था केंद्र

गोरखपुर - सामुदायिक सहयोग और स्वास्थ्य प्रणाली के समन्वय से जिले का कायाकल्प सर्टिफाइड हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जैनपुर स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता की मिसाल बन चुका है । भटहट ब्लॉक क्षेत्र का यह सेंटर कभी जलजमाव से घिरा रहता था । अब यहां प्रति माह पांच सौ की ओपीडी होती है और यह नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन (एनक्वास) की प्रतिस्पर्धा में है । राज्य स्तर से एनक्वास के लिए यह इकाई पास हो चुकी है और शीघ्र ही नेशनल टीम की भी विजिट होगी । यह सब संभव हुआ मंडल स्तरीय, जिला स्तरीय व ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों, सीएचओ और स्थानीय ग्राम प्रधान के सामूहिक प्रयासों के कारण।

जैनपुर एचडब्ल्यूसी जैनपुर खास, मो बरवां, रघुनाथपुर, ठाकुरनगर, मीरगंज और सियारामपुर गांव की 5000 की आबादी को सेवा देने के लिए बनाया गया था। गांव की 55 वर्षीय विद्यावती बताती हैं कि जब यह सेंटर सिर्फ एएनएम उपकेंद्र था तब कोई सुविधा नहीं थी। दरी बिछा कर टीकाकरण किया जाता था। कई बार गांव के लोग कुर्सी मेज दे दिया करते थे। अब यहां की सुविधाएं इतनी अच्छी हैं कि हर छोटी बड़ी बीमारी के लिए लोग यहीं पर आते हैं। परामर्श के साथ दवाएं भी मिल जाती हैं।

मो बरवां गांव की आशा कार्यकर्ता इंदू यादव बताती हैं कि पहले यहां उपकेंद्र था लेकिन सुविधाओं के अभाव के कारण लोग टीकाकरण तक के लिए तैयार नहीं होते थे। वर्ष 2020 में एचडब्ल्यूसी तो बन गया लेकिन चारों तरफ बरसात का पानी जमा रहता था। बुधवार और शनिवार को बमुश्किल 10-15 बच्चों और गर्भवती का टीकाकरण हो पाता था।

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) पवन कुमार पांडेय का कहना है कि मई 2020 में उन्होंने ज्वाइन किया तो उन्हें जिला स्तर से कुर्सी, मेज और दवाइयां उपलब्ध कराई गईं। अधीक्षक  डॉ अश्वनी चौरसिया की पहल पर ग्राम प्रधान वाजिद अली ने आसपास की सड़कें ठीक करवाईं। पंखा, साफ सफाई, इंटरलॉकिंग आदि के जरिये सुविधाएं बढ़ाई गईं । अधीक्षक के स्तर से एक एक चेकलिस्ट तैयार करवा कर मानकों के अनुसार एचडब्ल्यूसी को तैयार किया गया । एनएचएम के डिवीजनल कार्यक्रम प्रबन्धक अरविंद पांडेय ने आधुनिक कुर्सी दिलवा कर सहयोग किया । कोविड के दौरान यहां से कोविड टीकाकरण और नियमित टीकाकरण की सुविधा दी गयी । इसका असर रहा कि लोगों का सेंटर से जुड़ाव बढ़ा और इस समय रोजाना 25-30 की ओपीडी होती है । नियमित टीकाकरण भी 30 तक पहुंच गया है । दूसरे क्षेत्रों के लोग भी इलाज के लिए यहां आने लगे हैं । सामान्य बीमारियों की दवा सीएचओ खुद दे देते हैं और कोई खास दिक्कत होने पर टेलीकंसल्टेशन के जरिये विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श दिलवाते हैं और फिर दवा देते हैं । गंभीर बीमारी के मरीजों को रेफर भी किया जाता है । रोजाना सात से दस मरीजों को टेलीकंसल्टेशन की सुविधा भी दी जा रही है।

एचडब्ल्यूसी की एएनएम प्रियंका पटेल बताती हैं कि सुबह नौ बजे से चार बजे तक सेंटर खुला रहता है। नियमित टीकाकरण और परिवार नियोजन की सुविधा भी लोग प्राप्त कर रहे हैं । एचडब्ल्यूसी पर 58 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं और सभी सामान्य जांचें भी होती हैं । क्षेत्र की छह आशा कार्यकर्ता और एक संगिनी लाभार्थी लाने में मदद करती हैं । आंगनबाड़ी केंद्र भी सेंटर परिसर में ही है ।

बीएमजीएफ टीम ने किया था विजिट : भटहट सीएचसी के अधीक्षक डॉ अश्वनी चौरसिया का कहना है कि सेंटर का संचालन देखने के लिए पिछले दिनों बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ)की टीम ने भी विजिट किया था। कुल चार कमरों के इस सेंटर में प्रसव पूर्व जांच, नियमित टीकाककरण, ओपीडी और प्रसाधन की अच्छी सुविधा उपलब्ध है। सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार की देखरेख में इसे एनक्वास के लिए तैयार किया जा रहा है । चेकलिस्ट के अनुसार मंडलीय क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ जसवंत मल्ल और जिला स्तरीय सहायक विजय श्रीवास्तव हरसंभव मदद कर रहे हैं।

अब नहीं जाना पड़ता दूर : मो बरवां गांव के निवासी सुभाषचंद्र (57) का कहना है कि पहले तबीयत खराब होने पर या तो मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाते थे या फिर छह से सात किलोमीटर दूर भटहट सीएचसी जाते थे । अब छोटी छोटी बीमारियों का इलाज यहीं से हो जाता है और दवा भी मिल जाती है। घर के सभी बच्चों का टीकाकरण यहीं से होता है। स्टॉफ का व्यवहार भी काफी अच्छा है ।

इन चीजों की हो जाती है जांच : एएनसी जांच, एचआईवी, सिफलिस, मलेरिया, डेंगू, हीमोग्लोबिन, शुगर, टॉयफाइड, बीपी

इन चीजों की होती है स्क्रीनिंग : टीबी, कुष्ठ, ओरल और ब्रेस्ट कैंसर, शुगर और बीपी आदि

अन्य सेंटर के लिए प्रेरणास्रोत : भटहट ब्लॉक का जैनपुर एचडब्ल्यूसी अन्य सेंटर के लिए प्रेरणास्रोत बन चुका है। इसका विकास सभी के सहयोग से किया गया है । जिलाधिकारी और सीएमओ की देखरेख में इसका एनक्वास सर्टिफिकेशन के लिए विकास किया जा रहा है । - डॉ नंद कुमार, नोडल अधिकारी और एसीएमओ आरसीएच