नसबंदी अपनाकर खुशहाल जिंदगी जी रहे सिकंदर व बंशी



RAVI PRATAP SINGH-

  • स्वयंसेवी संस्था पीएसआई-टीसीआईएचसी और आशा कार्यकर्ता से प्रेरित होकर करवायी नसबंदी
  • दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन में पुरुष भागीदारी के जरिये दिया सकारात्मक संदेश
  • शरीर पर किसी भी किस्म का प्रतिकूल प्रभाव नहीं

गोरखपुर - पुरुष नसबंदी के प्रति भ्रांति पालने वालों  को पादरी बाजार के सिकंदर और तिकोनिया के बंशी से प्रेरणा लेनी चाहिए । दोनों लोगों ने  नसबंदी करवायी है और खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं । स्वयंसेवी संस्था पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल (पीएसआई)- द चैलेंज इनीशिएटिव ऑफ हेल्दी सिटीज (टीसीआईएचसी) के प्रतिनिधि  और आशा कार्यकर्ता के संयुक्त प्रयासों से नसबंदी कराने का दोनों ने निर्णय लिया । दोनों ने सिर्फ दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन में पुरुष भागीदारी का सकारात्मक संदेश दिया है । नसबंदी से  न तो इनके शरीर पर कोई बुरा प्रभाव पड़ा और न ही किसी प्रकार की कमजोरी महसूस करते हैं ।

महानगर के पादरी बाजार निवासी सिकंदर ने बताया कि उनकी शादी वर्ष 2014 में हुई थी । शादी के बाद एक बेटा और एक बेटी का जन्म हुआ | क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता रंभा देवी ने उनके परिवार में आकर पुरुष नसबंदी के बारे में जानकारी दी । उन्होंने यह निर्णय लेने से पहले अपने संयुक्त परिवार में चर्चा की और सभी की सहमति से छह महीने पहले नसबंदी करवा लिया । सिकंदर का कहना है कि वह बमुश्किल कक्षा- चार तक पढ़े हैं, लेकिन उन्हें छोटे परिवार का महत्व पता है । उनके परिवार ने साथ दिया और वह नसबंदी करवा सके । अपने निर्णय से वह पूरी तरह संतुष्ट हैं ।

चरगांवा ब्लॉक के बंशी की  शादी वर्ष 2014 में हुई । वह कहते हैं कि पुरुष नसबंदी का निर्णय लेने में पत्नी ने सहयोग किया । दम्पत्ति ने आपस में विचार-विमर्श कर यह फैसला किया । बंशी पेशे से पेंटर हैं और उनका कहना है कि इस दौर में दो बच्चों की परवरिश अच्छे से हो जाए, यह ज्यादा जरूरी है । उनके पास दो बच्चे हैं । क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता रमा श्रीवास्तव ने उन्हें नसबंदी के महत्व के बारे में बताया था । उन्हें आशा की बात समझ में आयी। नसबंदी बहुत आसानी से हो गयी  और एक साल का वक्त बीत चुका है । इस दरम्यान कोई दिक्कत भी महसूस नहीं हुई ।

कोई गलत असर नहीं पड़ता : अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डॉ. नंद कुमार का कहना है कि कुछ लोगों में भ्रांति है कि पुरुष नसबंदी से यौन इच्छा एवं क्षमता पर असर पड़ता है। यह भ्रांति निराधार है। ऐसा कुछ भी नहीं है। पुरुष नसबंदी में केवल शुक्राणुवाहक नलिकाओं को बांध दिया जाता है। यौन इच्छा एवं क्षमता पहले की ही तरह बनी रहती है।

नसबंदी की योग्यता : डॉ. नंद कुमार ने बताया कि पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं। पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दम्पत्ति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि पुरुष नसबंदी कराने वाले लाभार्थियों को 2000 रुपये उनके खाते में भेजे जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी को 300 रुपये दिये जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले गैर सरकारी व्यक्ति को भी 300 रुपये देने का प्रावधान है।

पुरुष नसबंदी में रखना है ध्यान :

•    अगर यौन संक्रमण हो या कोई अन्य गंभीर बीमारी हो तो पुरुष नसबंदी नहीं करानी चाहिए। उसके ठीक होने तक या डॉक्टर की सलाह पर ही नसबंदी करवाएं।
•    अगर नसबंदी के कुछ घंटों में जननांगों में सूजन आ जाए, तीन दिन के भीतर बुखार हो जाए या घाव के आसपास दर्द, जलन, मवाद या खून आ जाए तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
•    पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक कंडोम का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं।
•    नसबंदी के तीन महीने के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए। जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है।

गोरखपुर : आंकड़ों में पुरुष नसबंदी

वित्तीय वर्ष        कुल पुरुष नसबंदी
2020-21            51
2019-20            287
2018-19            84