पोषण के साथ यौन व प्रजनन स्वास्थ्य की जानकारी भी किशोर-किशोरियों को होना जरूरी



  • इस बारे में स्वास्थ्य कर्मियों को किया गया प्रशिक्षित

लखनऊ - एक किशोरी ही आगे चलकर माँ बनती है | इसलिए जरूरी  है कि  किशोरी को बेहतर स्वास्थ्य एवं पोषण के साथ ही यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के विषय में भी जानकारी प्रदान की  जाये |  परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों के बारे में भी बताया जाये |  यह जानकारी परिवार कल्याण कार्यक्रम की नोडल अधिकारी व  अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिलाषा मिश्रा ने दी | उन्होंने बताया- किशोर –किशोरियों को इस बात की जानकारी देना जरूरी  है कि शादी के कम से कम दो साल बाद पहला बच्चा और दो बच्च्चों के बीच में कम से कम तीन साल का अंतर रखना आवश्यक  है | इससे ही जच्चा और बच्चा स्वस्थ होंगे और खुशहाल परिवार की अवधारणा फलीभूत होगी |

डा. अभिलाषा ने बताया- इन्हीं सब बातों  को ध्यान  में रखते हुए एएफएचएस (अर्श) काउंसलर और प्रजनन व मातृ-शिशु और किशोर/किशोरी स्वास्थ्य (आरएमएनसीएचए)  काउंसलर को एक मंच पर लाकर पिछले दिनों प्रशिक्षण दिया गया |  इसका मकसद यही था कि वह किशोर –किशोरियों को परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों के बारे में सही जानकारी दें क्योंकि बाँझपन और मातृ मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण  असुरक्षित गर्भपात भी  है |  इसलिए अगर समय से किशोर-किशोरियों को सही जानकारी दी जाये तो आगे चलकर वह सही निर्णय लेंगे और इस तरह की समस्या का समाधान आसानी से कर लेंगे | इसके साथ ही किशोरों को इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार भी करना है कि सुखी परिवार के लिए केवल महिला ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि उनकी भी बराबर की जिम्मेदारी है |
नोडल अधिकारी ने बताया-स्वास्थ्य विभाग द्वारा  परिवार नियोजन से संबंधित अपने मूलमंत्र आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी-सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी, को अधिक से अधिक लोगों तक बेहतर तरीके से पहुंचाने के लिए इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया ।  प्रशिक्षण में जिला चिकित्सालयों और ब्लॉक सीएचसी सहित जिले भर से अर्श काउंसलर और  परिवार नियोजन काउंसलर ने प्रतिभाग किया,  जिसमें उत्तर प्रदेश तकनीकी  सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू)  के प्रशिक्षकों के द्वारा प्रशिक्षित किया गया |