- विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल) पर विशेष
- इस बार की थीम है “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार, क्रियान्वयन”
कानपुर नगर - देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जनपद में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रभावी रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है। इसका परिणाम यह रहा कि जिले में साल दर साल मलेरिया के मामलों में निरंतर कमी आ रही है। पिछले तीन साल की तुलना में मलेरिया के मामलों में गिरावट आई है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार की वजह से मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसी उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने दी।
सीएमओ कहा कि इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार व क्रियान्वयन’ रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में निवेश करना, आधुनिक तकनीकों और अनुसंधान कर नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना तथा उसको जमीनी स्तर पर लागू करना है। उन्होंने बताया कि मलेरिया के कम मामले मिलने को स्वास्थ्य विभाग अच्छा संकेत मान रहा है और विभाग के मुताबिक यह स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलेभर में मलेरिया को लेकर विभिन्न स्तर पर इंफार्मेशन, एजूकेशन और कम्यूनिकरेशन (आइईसी) गतिविधियों के माध्यम से की जा रही जागरूकता का असर है।
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया की पिछले तीन साल में मलेरिया के मामले में कमी आई है। उन्होंने कहा मलेरिया के लक्षण मिलने पर खुद उपचार करने से बचते हुए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में मलेरिया जांच व उपचार कराएं। इसके साथ ही अपने घर और आसपास का वातावरण हमेशा साफ सुथरा रखें। उन्होंने कहा कि पहले जागरूकता के अभाव में लोग मलेरिया के कारक मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए प्रयास नहीं करते थे, मगर जागरूकता के बाद लोग इसके प्रति सजग हुए हैं। जागरूकता और स्वच्छता के कारण मलेरिया के मामले कम मिल रहे हैं।
क्या है प्रमुख लक्षण : जिला मलेरिया अधिकारी न बताया की मच्छर के काटने के 14 से 21 दिन के अंदर तेज बुखार, कपकपी उठना, बुखार उतरने के बाद खूब पसीना आना और तेज सिर दर्द होना आदि मलेरिया के लक्षण हैं। लक्षण दिखते ही बिना देरी के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध मलेरिया की निशुल्क जांच कराएं और पाजिटिव होने पर तुरंत इलाज कराएं| पीवी (प्लाजमोडियम वायवेक्स) होने पर इलाज 14 दिन तक चलता है और पीएफ (प्लाजमोडियम फेल्सीपेरम) होने पर इसका इलाज 3 दिन तक चलता है। समय पर इलाज न कराने से यह बीमारी रेजिस्टेंट हो जाती है।
ऐसे करें बचाव : रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें| अपने आसपास गंदगी न करें| घर के आसपास जल भराव न होने दें । सुबह और शाम फुल आस्तीन के कपड़े पहने ताकि मच्छर न काट सके । प्रति सप्ताह कूलर और फ्रिज का पानी बदल दे| छत के ऊपर पड़े बिना प्रयोग वाले बर्तन जिनमें पानी का ठहराव हो सकता है, हटा दें| पशुबाड़े में यदि हौदे में पानी भरा है तो उसे एक हफ्ते में अवश्य बदल दें । यदि जानवर नहीं है तो उस हौदे को ही पलट दें ताकि उसमें पानी न रुक सके ।
आंकड़ों पर एक नजर (मलेरिया) : एक नजर आंकड़ों पर – जनपद में पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया के स्थिति की बाते करें तो जिला मलेरिया विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में 299 रोगी पाये गए थे। वर्ष 2018 में 403, वर्ष 2019 में 426, वर्ष 2020 में 17, वर्ष 2021 में 15, वर्ष 2022 में 8 और वर्ष 2023 में अब तक सिर्फ एक मलेरिया रोगी मिला है ।
मलेरिया की जांच व उपचार की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी शहरी व ग्रामीण सीएचसी, पीएचसी, आयुष्मान भारत - हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर उपलब्ध है। आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर संभावित रोगी की पहचान कर किट से त्वरित जांच का रही हैं। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर रोगी का सम्पूर्ण उपचार किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० आलोक रंजन ने सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि विश्व मलेरिया दिवस पर स्वास्थ्य केन्द्रों पर व्यापक प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक करें। वहीं जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस पर स्कूलों में जन जागरूकता रैली निकाली के साथ-साथ हर रविवार मच्छर पर वार का क्रियान्वयन अत्यंत प्रभावी ढंग से किया जाएगा। स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा हम सबने ठाना है मलेरिया रोग मिटाना है स्लोगन के साथ लोगों को जागरूक किया जायेगा।