- बांदा के बदलाव की पूरी कहानी पेश है डायनमिक डी.एम. पुस्तक में
- जिलाधिकारी नहीं बल्कि समाज का सेवक बन बदली सूरत : डॉ. हीरा लाल
- हर नवप्रयोगों से जनता को सीधे तौर से जोड़ने से मिली कामयाबी
लखनऊ - जिलाधिकारी बनकर महज सरकार की योजनाओं को मूर्त रूप देने और प्रशासनिक व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने तक ही अपने को सीमित रखने से समाज में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला। इससे बाहर निकलकर जनता के दर्द को खुद का दर्द समझकर उसको दूर करने का काम जो करता है वही डायनमिक डी.एम. कहलाता है।
जिले की कमान संभालने के साथ ही वहां की मूलभूत समस्याओं को समझना एक डीएम के लिए बहुत ही जरूरी होता है। समस्या पर एक राय बनाने के साथ ही उसको दूर करने का संकल्प यदि एक डीएम ठान ले तो उसे जिले की सूरत बदलने से कोई नहीं रोक सकता है। यह महज किसी किस्से या कहानी की बातें नहीं हैं बल्कि हकीकत में बांदा की सूरत बदलने वाले डायनमिक डी.एम. डॉ. हीरा लाल के बेहतरीन कार्यों का दस्तावेज समेटे पुस्तक- “डायनमिक डी. एम.” में वर्णित है। शीर्षक के सार्थकता को साबित करते हुए यह पुस्तक समाज के हर वर्ग में खूब धूम मचा रही है। इस पुस्तक का ध्येय वाक्य है- “सहयोग से सुशासन, सुशासन से समृध्धि ।“ इसमें 31 अगस्त 2018 से 24 फरवरी 2020 तक बांदा के जिलाधिकारी के रूप में उनके द्वारा किये गए सराहनीय कार्यों का विस्तार से वर्णन है। पुस्तक ग्रामीण युवकों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है क्योंकि डॉ. हीरा लाल ने इसमें बड़े ही विस्तार से बताने की कोशिश की है कि किस तरह उन्होंने गाँव से निकलकर आईएएस अफसर तक का मुकाम हासिल किया है। उन्होंने ग्रामीण परिवेश में रहकर संसाधनों की कमी का रोना न रोकर उन्हीं संघर्षों से कामयाबी का रास्ता खोजने का काम किया है। इसके अलावा उन्होंने अपनी नियुक्ति से लेकर अब तक जितने जिलों में काम किया है, वहां की चुनौतियों का किस तरह से सामना करते हुए इज्जत और शोहरत हासिल की है, यह नवनियुक्त अफसरों को भी एक दिशा देने में कामयाब होगी ।
डायनमिक डी.एम. पुस्तक में डॉ. हीरा लाल अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहते हैं कि उन्होंने एक जिलाधिकारी बनकर नहीं बल्कि जनता का सेवक बनकर दिन-रात जिले की सूरत बदलने की सच्ची सोच के साथ काम किया। अथक प्रयासों का नतीजा रहा कि नीति आयोग ने बांदा जिले के बदलाव को अपनी रिपोर्ट में सराहा। इस तरह जिले को उस मुकाम पर पहुंचा दिया जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी न की होगी। बांदा जिसकी सबसे बड़ी समस्या पानी की थी, उसके लिए कुआं, तालाब और नदी की पूजा कर यह बताने की कोशिश की कि इन सभी का सम्मान करें, साफ़-सफाई का ख्याल रखें, पानी को व्यर्थ में बह जाने के बजाय उसको रोकने का प्रबंध करें तो संकट अपने आप दूर हो जाएगा और हुआ भी वैसा, जिले के पानी समस्या दूर हुई। इस प्रयास को सराहना मिली और डॉ. हीरा लाल जल पुरुष सम्मान सहित कई अन्य सम्मान से नवाजे गए। इतना ही नहीं इस पुस्तक के माध्यम से डॉ. हीरा लाल ने यह भी बताने की कोशिश की है कि लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत को बढाने के लिए किन जरूरी उपायों पर गौर करने की खास जरूरत होती है, जिसे अपनाकर कोई भी जिलाधिकारी मतदान प्रतिशत में अच्छी खासी वृद्धि दर्ज करा सकता है। केवल कथनी ही नहीं बल्कि करनी में विश्वास रखने वाले डॉ. हीरा लाल के नए प्रयोगों का ही नतीजा रहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के 52.69 प्रतिशत मतदान के मुकाबले वर्ष 2019 के चुनाव में 63.24 प्रतिशत मतदान हुआ । 10.55 प्रतिशत वृद्धि दर्ज करने के साथ ही बांदा का अभी तक का उच्चतम मतदान प्रतिशत है। इसे उच्चतम प्लेटफार्म पर सराहा भी गया।
डॉ. हीरा लाल ने मॉडल गाँव की सोच को साकार करने के लिए ग्रामीणों को यह बताने की हरसम्भव कोशिश की कि गाँव में ही वह सभी चीजें मौजूद हैं जिसको सही आकार देकर आप अपने जीवन को बदल सकते हैं। युवाओं को थोड़े से पैसे के लिए बाहर रोजी-रोजगार के लिए भेजने के बजाय उस युवा शक्ति को अपने गाँव के विकास से जोड़कर देखें ।