जिले के 7.33 लाख बच्चों को पिलाई जाएगी पोलियो से बचाव की दवा



  • 2204 टीमें घर-घर जाकर बच्चों को पियाएंगी दवा
  • अभियान को सफल बनाने के लिए 2783 बूथ, 131 मोबाइल व 227 ट्रांजिट टीमें बनीं

लखनऊ - शून्य से पाँच साल तक की आयु के बच्चों को दो बूंद जिंदगी की यानि पोलियो से बचाव की दवा पिलाने का छह दिवसीय सघन पल्स पोलियो अभियान 28 मई से शुरू हो रहा है। अभियान को सफल बनाने के लिए शुक्रवार को जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई।

बैठक में पल्स पोलियो अभियान के सघन एवं प्रभावी पर्यवेक्षण के लिए जिलाधिकारी द्वारा नामित अपर नगर मजिस्ट्रेट गरिमा स्वरूप ने प्रशासनिक अधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को प्रभावी क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए गए। बैठक में जानकारी देते हुए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डाॅ. एमके सिंह ने बताया कि 28 मई से शुरू होने वाले पल्स पोलियो अभियान में कुल 7,33,013 बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने का लक्ष्य है। पोलियो से बचाव की दवा पिलाने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 2,783 बूथ बनाए गए हैं। यह बूथ सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, पंचायत भवन व अन्य चयनित स्थानों पर लगाए जाएंगे | इसके साथ ही 29 मई से दो जून तक स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर –घर जाकर शून्य से पाँच साल तक की आयु के बच्चों को दवा पिलाएंगे | इस अभियान को सफल बनाने के लिए 2,204 टीमें बनाई गई हैं । इसके अलावा 227 ट्रांजिट टीमों द्वारा  साप्ताहिक बाजार, मेले, रेलवे व बस स्टेशन पर तथा 131 मोबाइल टीमों के द्वारा ईंट भट्टों, मलिन बस्ती व निर्माणाधीन स्थलों पर जाकर शून्य से पाँच साल तक की आयु के बच्चों को दो बूंद जिंदगी की पिलाई  जाएगी।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने जनपदवासियों से अपील की है कि अभिभावक निकटतम पोलियो बूथ पर जाकर अपने पाँच वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को पोलियो से बचाव की दवा जरूर पिलाएं और इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग करें । इस मौके पर 33 पोलियो इकाई के प्रभारी अधिकारी, सहयोगी विभाग के अधिकारी और विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ़ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कैसे होता है पोलियो : पोलियो बीमारी  पोलियो मायलाइटिस वायरस से होती है, जो कि छोटे बच्चों को प्रभावित करता है । यह अत्यंत संक्रामक बीमारी है । अधिकांशतः यह संक्रमित मल के संपर्क में आने से फैलता है । यह हमारी आंतों  में वृद्धि करता है, जहाँ से यह नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है जिसके कारण लकवा हो सकता है और यह अक्सर स्थायी होता है । पोलियो के शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, गर्दन में अकड़न व अंगों में दर्द होता है ।

कब देनी है दवा : पोलियो की दवा जन्म पर, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ताह में फिर 16 से 24 माह की आयु में बूस्टर की खुराक दी जानी चाहिए। पाँच वर्ष तक की आयु के बच्चों को बार-बार खुराक पिलाने से इस बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ती है जो पोलियो के विषाणु को पनपने से रोकती है।