गर्भवती एवं बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना सरकार की प्राथमिकता : बेबी रानी मौर्य



  • सर्वे बताते हैं कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों के कुपोषण में आई कमी
  • संभव अभियान की राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
  • संभव अभियान के शुभांकर का अनावरण
  • आंगनबाड़ी सहायिकाओं के लिए “स्कूल पूर्व शिक्षा मॉड्यूल” का विमोचन   

लखनऊ - बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के तत्वावधान और यूनिसेफ़ के सहयोग से संभव अभियान की राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला जनपद के होटल में सोमवार को आयोजित हुई । कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रदेश की महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य ने कहा कि गर्भवती एवं बच्चों के पोषण स्तर में सुधार  लाना सरकार की पहली प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए हर स्तर पर हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसी के तहत जून से सितम्बर माह तक प्रदेश में संभव अभियान चलाया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल के सर्वे को देखा जाए तो प्रदेश में पांच साल से छोटे बच्चों के कुपोषण में कमी आई है लेकिन अभी भी प्रदेश में तीन में से एक बच्चा कम वजन की श्रेणी में है। कुपोषण बच्चों के न सिर्फ शारीरिक विकास बल्कि बौद्धिक विकास में भी बाधक बनता है । इसके अलावा जो बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित होते हैं वह ज्यादा बीमार पड़ते हैं और यह उनकी मृत्यु का कारण भी बनता है। इसी को ध्यान में रखते हुए आईसीडीएस द्वारा साल 2021 में एक नवाचार के रूप में संभव अभियान की शुरुआत की गयी। यह अभियान अति गंभीर कुपोषित और अत्यधिक कम वजन के बच्चों की पहचान और प्रबन्धन पर केन्द्रित है । इस मौके पर महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने कहा कि सुपोषित उत्तर प्रदेश बनाने की दिशा में संभव आईसीडीएस विभाग का एक अनूठा प्रयास है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और सहयोगी संस्थाओं के सहयोग से अभियान में गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान कर अभियान को सफल बनाने की अपेक्षा भी की ।

इस अवसर पर सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग अनामिका सिंह ने कहा कि इस अभियान द्वारा लाभार्थियों को सहयोगी विभागों जैसे- स्वास्थ्य, पंचायती राज, ग्राम्य विकास, खाद्य एवं रसद विभाग की सरकारी योजनाओं का लाभ भी पहुँचाया जा रहा है। बच्चों में कुपोषण की रोकथाम के लिए मातृत्व पोषण के साथ ही छह माह से छोटे बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान रखने के उद्देश्य से “पोषण 500” की थीम के साथ यह  अभियान चलाया जा रहा है।

कार्यशाला में संभव अभियान के बारे में निदेशक महिला कल्याण एवं बाल विकास सरनीत कौर ब्रोका ने विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पाँच साल तक की आयु के बच्चों को सुपोषित बनाने के लिए जरूरी है कि इस बात की जानकारी हो कि कितने बच्चे कुपोषित हैं । इसी बात को ध्यान में रखते हुए साल 2021 में पहले संभव अभियान में सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का प्रयास किया गया जिससे कि पाँच साल से कम आयु के सभी बच्चों का वजन कर सुपोषण की स्थिति जान पायेँ | वर्तमान में सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन मशीन उपलब्ध है और इस अभियान में प्रयास रहेगा कि हम शत प्रतिशत बच्चों का वजन कर अति गंभीर कुपोषित और अत्यधिक कम वजन के बच्चों को चिन्हित कर उनका प्रबंधन कर पायेँ ।

कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबन्धक डॉ. वेद प्रकाश, यूनिसेफ के प्रोग्राम मैनेजर डॉ.अमित मेहरोत्रा, उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) के डा. मनीष, अर्पिता पॉल, प्रफुल्ल रंजन मिश्रा व संभव अभियान के नोडल अधिकारी और पोषण 2.0 कार्यक्रम के संयुक्त परियोजना समन्वयक सेराज अहमद ने भी संबोधित  किया और अभियान से जुड़े जरूरी पहलुओं पर प्रकाश डाला ।

अभियान को सफल बनाने में संचार और मीडिया की भूमिका के बारे में यूनिसेफ के सामाजिक व्यवहार परिवर्तन अधिकारी दया शंकर सिंह, यूनिसेफ की कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट निपुन गुप्ता और सेंटर फॉर एडवोकेसी एन्ड रिसर्च (सीफार) की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी द्वारा विस्तार से बताया गया । इस मौके पर संभव अभियान के शुभांकर “आशा-आंगनबाड़ी पोषण चुनो तेज बनो” का अनावरण और आंगनबाड़ी सहायिकाओं के लिए “अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ईसीसीई) मॉड्यूल” का विमोचन किया गया ।

इस अवसर पर श्री अन्न से बने व्यंजनों का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के अंत में आईसीडीएस की उप निदेशक कमलेश गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया । इस अवसर पर आईसीडीएस के सभी जिलों के अधिकारियों के अलावा पंचायती राज विभाग तथा सहयोगी संस्थाओं यूनिसेफ़, यूपीटीएसयू, सेव द चिल्ड्रन, सीफॉर और एलाइव एंड थ्राइव  के प्रतिनिधि उपस्थित रहे |