टीबी मरीजों का इलाज करें तो निक्षय पोर्टल पर भी करें पंजीकृत



  • जिले के प्राइवेट चिकित्‍सकों का किया गया संवेदीकरण,  टीबी नोटिफिकेशन के बताए गये फायदे
  • बिना सूचना दिए टीबी मरीज का इलाज करने वाले चिकित्‍सकों पर  है कार्रवाई का प्रावधान

संतकबीरनगर - जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने कहा है कि प्राइवेट चिकित्‍सक किसी भी टीबी मरीज का इलाज करें तो उसका ब्यौरा निक्षय पोर्टल पर अवश्य दर्ज करें । टीबी मरीजों का यह नोटिफिकेशन अनिवार्य है । इस सम्बन्ध में क्षय रोग विभाग  तकनीकी सहयोग देता है । नोटिफिकेशन से टीबी का मरीज सिस्‍टम में आ जाएगा और  उसे कई सुविधाएं मिलेंगी, जिससे क्षय रोग का  2025 तक उन्मूलन संभव हो पाएगा । बिना सूचना दिए टीबी मरीजों का इलाज करने वाले प्राइवेट चिकित्‍सकों पर कार्रवाई का भी प्रावधान है।  

यह बातें उन्‍होंने जीत 2.0 ( टीबी रोगियों के चिन्‍हींकरण के संयुक्‍त प्रयास ) के तहत क्षय रोग विभाग और सेंटर फॉर हेल्‍थ रिसर्च एंड एनोवेशन ( सीएचआरआई ) के तत्‍वावधान में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं। उन्‍होंने कहा कि नियमानुसार टीबी का इलाज करने वाले अस्पताल, जांच करने वाले पैथोलॉजी सेंटर एवं दवा बिक्री करने वाले मेडिकल स्टोर संचालक को मरीज के बारे में सूचना देना अनिवार्य है।  दवा के साथ साथ टीबी मरीज को प्रतिमाह पोषण के लिए पांच सौ रुपये आर्थिक सहायता  दी जाती है। यदि मरीज निजी अस्पताल में इलाज कराता है तो भी उसके बैंक खाते में यह राशि भेजी जाती है, जबकि टीबी मरीज की सूचना देने अस्पताल को पांच सौ रुपये और उसे रोग मुक्त करने में मदद करने पर पांच सौ रुपये के हिसाब से कुल एक हजार रुपए की प्रोत्‍साहन राशि दी जाती है।

इस अवसर पर उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विशाल यादव ने कहा कि टीबी मरीज के स्पुटम की सीबीनॉट जांच के लिए प्राइवेट पैथालाजी में तीन हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं, जबकि यह सुविधा सरकारी प्रावधानों के तहत भी उपलब्ध है। प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को भी चिकित्सक की सहमति से यह सुविधा दी जाती है ।   

इस अवसर पर अपर मंडलीय टीबी कार्यक्रम प्रबंधक डॉ एन एस त्रिगुण, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के प्रतिनिधि डॉ मोइन अख्‍तर, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम  जिला कार्यक्रम प्रबंधक अमित आनन्‍द, डॉ सोनी सिंह, डॉ आलोक सिन्‍हा, डॉ अखिलेश चन्‍द्र, डॉ अख्‍तर, डॉ अशरफ अली, रामबास विश्‍वकर्मा, कविता पाठक, सीएचआरआई के डिस्ट्रिक्‍ट लीड उत्‍कर्ष पाठक और  डेटा प्रबंधक रविशंकर  प्रमुख तौर पर उपस्थित रहे।

जिले में सबसे अधिक क्षय रोगियों का  नोटिफिकेशन करने वाले प्राइवेट चिकित्‍सक डॉ अशरफ अली ने बताया कि  क्षय रोग को समाप्‍त करने में सभी की सहभागिता जरुरी है। निजी क्षेत्र से नोटिफिकेशन कराने पर टीबी मरीजों को कई सरकारी प्रावधानों वाली सुविधाएं मिल जाती हैं, जिससे उन्हें ठीक होने की राह आसान हो जाती है । चिकित्सक डॉ सोनी सिंह ने कहा कि वह क्षय रोगियों को सूचीबद्ध कराने के साथ ही उन्‍हें गोद भी लेती हैं तथा हर माह पोषण पोटली देती हैं।

निरंतर मिल रहा चि‍कित्सकों का सहयोग : जिला कार्यक्रम समन्‍वयक अमित आनन्‍द बताते हैं कि जिले के प्राइवेट चिकित्‍सकों का सहयोग  टीबी उन्मूलन में निरन्‍तर मिल रहा है। अभी तक उनके सिस्‍टम से 14 प्राइवेट चिकित्‍सक जुड़े हैं। वह नियमित टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन कर रहे हैं। पिछले चार साल में कुल 1176 क्षय रोगी प्राइवेट चिकित्‍सकों की मदद से खोजे गए। इनमें से 882 क्षय मुक्‍त भी हो गए हैं। चिकित्‍सकों को प्रोत्‍साहन के रुप में  करीब 10.29 लाख की राशि दी जा चुकी है। वहीं इन सभी क्षय रोगियों को दवाएं भी दी गयी हैं। इस वर्ष जनवरी से मई तक 1269 क्षय रोगी खोजे गए, इनमें से 202 क्षय रोगी प्राइवेट चिकित्‍सकों ने खोजे हैं।

टीबी मरीज को सूचीबद्ध कराने के यह हैं फायदे :  सूचीबद्ध होने के बाद टीबी मरीज की विभाग के द्वारा नियमित निगरानी की जाती है। उसके परिवार के अन्‍य लोगों की जांच के साथ टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट ( टीपीटी )  दी जाती है। आर्थिक स्थिति खराब होने से मरीज बीच में दवा छोड़ता है तो सरकारी अस्पताल में इलाज होता है। मरीज को हर महीने पोषण भत्‍ते के रुप में पांच सौ रुपए भी  पोषण के लिए दिए जाते हैं। बीच में दवा छोड़ने की स्थिति में मरीज एमडीआर टीबी की  श्रेणी में आने से बच जाता है। प्राइवेट  सेंटर्स पर होने वाली महंगी जांचें भी विभाग द्वारा बिना किसी धन के की जाती हैं। नियमित तौर पर  मरीज का फॉलोअप होता है जिससे उसके स्‍वस्‍थ होने की  संभावना बढ़ जाती है ।आर्थिक रुप में कमजोर टीबी मरीजों को किसी समाजसेवी या संगठन को गोद दिला दिया जाता है, जिससे उसको पोषण और मानसिक सम्बल मिल पाता है।