हाथीपांव है लाइलाज, दवा खाने में न करें ऐतराज़



  • विद्यार्थियों को जागरूक कर फाइलेरिया रोधी दवा खाने-खिलाने को किया प्रेरित
  • आगामी 10 अगस्त से स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर खिलाएंगी फाइलेरिया रोधी दवा

कानपुर नगर  - फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देता है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। क्यूंकि यह लाइलाज है, इसलिये इस बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरियारोधी दवा का सेवन जरूर करें। आगामी 10 अगस्त से फाइलेरिया से बचाव की दवा आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर खिलाएंगी।  सभी से प्रार्थना है कि आप लोग खुद भी यह दवा खाएं, अपने परिवार और आसपास के लोगों को भी यह दवा खाने के लिए प्रेरित करें। कुछ ऐसा ही सन्देश इन दिनों सहयोगी संस्था सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) द्वारा जनपद के स्कूलों में छात्र, छात्राओं और शिक्षकों को दिया जा रहा है।

केंद्रीय विद्यालय- 2 में प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) की जिला समन्वयक डॉ तनुश्री चक्रवर्ती ने 2700 छात्र- छात्राओं और 75 शिक्षकों को बताया कि फाइलेरिया यानि हाथी पांव कभी ठीक न होने वाला एक असाध्य रोग है ,जिसका कोई इलाज नहीं है। साल में एक बार और  पांच साल तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवा खाकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगले माह 10 अगस्त से आईडीए अभियान में आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल दवा खिलाई जाएगी। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खाना है। फाइलेरिया से बचाव की  दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती, एक माह के बच्चे वाली प्रसूता और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी और दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा  खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह  एक  सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।

फाइलेरिया रोगी ने छात्र-छात्राओं को सुनाई अपनी कहानी : सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा गठित फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क के सदस्यों द्वारा जनपद के पांच ब्लॉक में लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने का काम किया जा रहा है। इसी क्रम में ब्लॉक कल्याणपुर में बिनौर कस्बे के संविलियन विद्यालय ईश्वरीगंज में फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य और फाइलेरिया रोगी ममता देवी ने बताया - “मुझे करीब 10 सालों से दायें पैर में फाइलेरिया है। करीब दस माह पूर्व ही मैं आनंदेश्वर फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य बनीं, और मैंने  बैठकों और प्रशिक्षण में भाग लिया, जिसके बाद मैं खुद इतनी जागरूक हो गई हूं और दूसरों को भी जागरूक करने में सक्षम हूं। इसलिए अब मैं  चाहती हूं कि इस बीमारी को लेकर जिन मुश्किलों का सामना मैंने किया है, कोई और उन परेशानियों से न जूझे। मैंने अनजाने में दवा का सेवन नहीं किया और इस बीमारी से पीड़ित हुई लेकिन अन्य लोग यह गलती न करें। फाइलेरियारोधी दवा का सेवन जरूर करें।”
इस मौके पर मौजूद छात्र-छात्राओं ने फाइलेरिया रोधी दवा खाने और आईडीए राउंड में सहयोग करने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षक भी मौजूद रहे।