फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन जरूर करें



  • 10 अगस्त से चलने वाले आईडीए राउंड को लेकर मीडिया कार्यशाला आयोजित
  • 4500 टीम और 750 सुपरवाइजर लगाए गए अभियान में

हरदोई - राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में शुक्रवार को सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान को लेकर मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित हुई।

 इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रोहताश कुमार ने कहा कि फाइलेरिया को हाथी पाँव भी कहते हैं। फाइलेरिया से बचाव के लिए जनपद में आगामी 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी। फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह एक लाइलाज बीमारी है और अगर किसी को हो गई तो यह ठीक नहीं होती है और व्यक्ति को आजीवन दिव्यांगता के साथ जीना पड़ता है। इस बीमारी का केवल प्रबंधन ही किया जा सकता है। इस बीमारी के लक्षण पाँच से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। इससे बचाव का एकमात्र उपाय फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करना है। इस बीमारी से लटके हुए अंग जैसे अंडकोष, हाथ, पैर और स्तन प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही पेशाब के साथ सफेद रंग का द्रव्य आने लगता है जिसे काईलूरिया कहते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद में फाइलेरिया के 5202 मरीज हैं जिसमें हाइड्रोसील के 1301 और हाथीपाँव के 3901 मरीज हैं।

 राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. समीर वैश्य ने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए कोटेदारों, प्रधानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिलाधिकारी ने भी सभी विभागों को सहयोग करने के लिए पत्र जारी किया है। नोडल अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष के बच्चों को केवल पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने से बचने के लिए बहाने बिल्कुल भी न करें, जैसे - अभी पान खाए हैं, सर्दी-खांसी है, बाद में खा लेंगे आदि। आज का यही बहाना आपको जीवन भर के लिए मुसीबत में डाल सकता है। इसलिए दवाओं का सेवन कर समाज को फाइलेरिया मुक्त बनाएं। दवा खाने के बाद जी मिचलाये, चक्कर या उल्टी आए तो घबराएं नहीं। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।

अभियान के दौरान एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगी। जनपद के पात्र लाभार्थियों को दवा सेवन कराने के लिए   750  सुपरवाइजर और 4500 टीम लगाई गई हैं । आइवरमेक्टिन दवा ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर खाना है। नोडल अधिकारी ने बताया कि हर ब्लॉक पर रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) बनाई गई है,  जिसमें चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल है। दवा सेवन के बाद कोई समस्या होने पर टीम या आशा कार्यकर्ता या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।

कार्यशाला में सहयोगी संस्था सीफार, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशल (पीसीआई) और पाथ ने अभियान को लेकर अपनी-अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा.आर. के.सिंह, आरसीएच नोडल डा. अनिल पंकज, जिला मलेरिया अधिकारी जीतेंद्र कुमार, बायोलॉजिस्ट दया शंकर यादव, सहायक मलेरिया अधिकारी संतोष कुमार त्रिपाठी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी इंद्रभूषण सिंह, मीडिया बंधु, डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई, सीफार संस्था के प्रतिनिधि और मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारी मौजूद रहे।