युवा कवि ज्ञान प्रकाश चौबे को मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार



लखनऊ -  कैफ़ी आज़मी एकेडमी सभागार में युवा कवि ज्ञान प्रकाश चौबे को वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना के हाथों रविवार को मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर ज्ञान प्रकाश चौबे ने अपना आत्म कथ्य रखते हुए अपने बचपन के विस्थापन और परिवार से अलग होने के बाद एकाकी जीवन को याद किया। ज्ञान प्रकाश चौबे की कविताओं पर बात रखते हुए वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने कहा कि इनकी कविता 'थोड़ा सा खिसक जाएँ' साहित्य की दुनिया में भी कविता के सिकुड़ने का संकेत है। सच तो यह है कि कविता हमारी स्मृतियों में बच रही है। कविता आसान चीज तो है नहीं। कविता स्मृति में न जा सके तो व्यर्थ है। उन्होंने ज्ञान प्रकाश की कविता 'हत्यारे' की खास तौर से चर्चा की और उसके अंत की प्रशंसा की।

 इलाहाबाद से आए वरिष्ठ कवि हरीश चंद्र पांडे ने कहा कि ज्ञान प्रकाश की अधिकांश कविताएँ प्रेम कविताएँ हैं। आज बहुत कम कविता संग्रह प्रेम कविताओं के मिल रहे हैं। इसलिए इस संग्रह का स्वागत किया जाना चाहिए। हालांकि ज्ञान प्रकाश के यहाँ प्रेम के अलावा अन्य भी विषय हैं और उन कविताओं में मनुष्य को आगे लाने की तार्किकता है। बसंत त्रिपाठी ने कहा कि ज्ञान प्रकाश चौबे सक्षम कवि हैं। उनकी कविता एक प्रतिपक्ष रचती है और यही उनकी कविताओं की ताकत है। नलिन रंजन सिंह ने ज्ञान प्रकाश की कविताओं को विस्थापन के दर्द से उपजे और प्रेम में डूबे हुए कवि की कविताएँ कहा। उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञान के यहाँ हाशिए का समाज भी मौजूद है और वह व्यक्तियों पर भी कविताएं लिखते हैं। उनकी कविताओं का फलक विस्तृत है। उनके यहाँ टटके बिंब हैं और लोक की भी गहरी चेतना है। वे निश्चय ही भविष्य के प्रति उम्मीद जगाने वाले कवि हैं।

 दूसरे सत्र में स्थानीय एवं विभिन्न शहरों से आए कवियों ने अपनी कविताएँ सुनाईं। इनमें नूर आलम, शालिनी सिंह, सीमा सिंह, विमल चन्द्राकर, आभा खरे, कुमार मंगलम, नलिन रंजन सिंह, राजेंद्र वर्मा, वंदना मिश्रा, विशाल श्रीवास्तव, बसंत त्रिपाठी, अनिल त्रिपाठी, सुभाष राय, वसंत सकरगाए, महेश आलोक और हरीश चंद्र पांडे ने अपनी कविताएँ सुनाईं। इस अवसर पर तद्भव के संपादक अखिलेश, इप्टा के राकेश, लमही के संपादक विजय राय, वीरेंद्र सारंग, प्रीति चौधरी, शिवाजी राय, महेंद्र प्रताप सिंह, आशीष सिंह, प्रभात त्रिपाठी, धनंजय शुक्ला, प्रतिभा कटियार, तनु सिंह सहित तमाम साहित्य प्रेमी मौजूद थे। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन सीमा सिंह ने और द्वितीय सत्र का संचालन शालिनी सिंह ने किया। आए हुए अतिथियों को माधव महेश ने धन्यवाद ज्ञापित किया।