मच्छरों से बचाव और फाइलेरियारोधी दवा सेवन से ही बचेंगे फाइलेरिया से



  • सीएमओ की जनपदवासियों से की अपील - 10 से 28 अगस्त तक जनपद में चलेगा ट्रिपल ड्रग थेरेपी (आईडीए) अभियान

कानपुर - फाइलेरिया विश्व में दीर्घकालिक दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है । मच्छरों से बचाव और दवा का सेवन ही इससे बचने का उपाय है । इसके लिए जनपद में 10 से 28 अगस्त तक चलने वाले ट्रिपल ड्रग थेरेपी (आईडीए) अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि हर पात्र लाभार्थी दवा का सेवन अवश्य करें । यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च( सीफार) संस्था के सहयोग से सोमवार को सीएमओ सभागार में आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान कही। उन्होंने अपील की कि दवा का सेवन आशा कार्यकर्ता के सामने ही करें। उन्होंने सभी को शपथ दिलाई कि फाइलेरिया से बचाव की दवा की एक खुराक हर साल खाकर इस बीमारी को दूर भगाएं।

वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा ने बताया की जनपद में वर्तमान में 3551 फाइलेरिया रोगी हैं। इसमें से 660 हाइड्रोसील ग्रस्त हैं। शेष 2891 लिम्फोडिमा के रोगी हैं। हाइड्रोसील ग्रस्त 555 लोगों का सफल आपरेशन हो चुका है। शेष को आपरेशन के लिए बुलाया जा रहा है। डॉ मिश्रा ने बताया कि आईडीए 2023 में जिले की लगभग 46.31 लाख आबादी को टीमों के माध्यम से बूथ एवं घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाएगी। दवा का वितरण बिलकुल भी नहीं किया जाएगा। इन दवाओं का सेवन खाली पेट नहीं करना है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को दवा नहीं खिलाई जाएगी। शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति के लिए 616 सुपरवाइजर क्षेत्र में भ्रमणशील रहेंगे।

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं । इन दवाओं का वैसे तो कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है की उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं । ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं । सामान्यतः यह लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं फिर भी ऐसी किसी परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित 63 रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) भी बनाई गई है । आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए तुरंत बुलाया जा सकता है ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ नित्यानंद ठाकुर ने बताया कि हाथीपांव के नाम से प्रचलित यह बीमारी हो जाने पर इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो पाता है। रोग से प्रभावित अंग के साफ सफाई और व्यायाम से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है । ऐसे में अगर आईडीए अभियान के दौरान तीन साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया जाए तो इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। इस बार आईडीए के दौरान दवा खिलाने के बाद अंगुली पर निशान भी बनाया जाएगा। ताकि सभी तक दवा का सेवन सुनिश्चित किया जाए। दवा किसी को घर ले जाने के लिए नहीं देना है बल्कि सभी को दवा आशा कार्यकर्ता अपने सामने ही खिलाएं।

फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य ने साझा किये अनुभव : कल्याणपुर ब्लॉक के फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य और फाइलेरिया मरीज महेंद्र कुमार ने बताया कि नेटवर्क सदस्यों द्वारा आशा दीदी शिक्षक प्रधान आदि के साथ मिलकर लोगों को दवा के सेवन के लिए प्रेरित किया जा रहा है ।