‘सबको फाइलेरिया रोधी दवाई खिलाएंगे, देश खुशहाल बनाएंगे’



  • नुक्कड़ नाटक के जरिए फाइलेरिया के प्रति लोगों को किया जागरूक
  • आकार फाउंडेशन की टीम ने जिला मुख्यालय, नरवल तहसील व बाबा विश्वनाथ स्कूल में दी प्रस्तुति
  • स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में फाइलेरिया से बचाव के लिए लोगों को किया गया जागरूक

कानपुर - आईडीए राउंड में... सबको दवाई खिलाएंगे, हर एक को समझाएंगे... फाइलेरिया से बचाएंगे...सपने को सच बनाएंगे...देश खुशहाल बनाएंगे जैसे संदेशों के साथ शहर के तीन प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति बुधवार को हुई । लखनऊ से आई आकार फाउंडेशन की टीम ने दिन में ब्लॉक सरसौल के बाबा विश्वनाथ सत्तीदीन स्मारक स्कूल, नरवल तहसील और शाम को जिला मुख्यालय में प्रस्तुतियां दीं । इन नुक्कड़ नाटकों के जरिये फाइलेरिया की गंभीरता बता कर अट्ठाइस अगस्त तक स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही दवा खाने का संदेश दिया गया । स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए यह आयोजन कराया गया । नुक्कड़ नाटक के बाद लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा सेवन की शपथ भी दिलाई गई।

ब्लॉक सरसौल के बाबा विश्वनाथ सत्तीदीन स्मारक स्कूल में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी आशीष शर्मा ने नुक्कड़ नाटक का उद्घाटन किया और अपने सहयोगियों के साथ नाटक देखा । उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन , नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा और जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह के दिशा निर्देशन में यह आयोजन करवाया गया । फाइलेरिया एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं। यह गंदगी में पनपने वाले फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है । इससे बचाव के लिए साल में एक बार तीन साल तक लगातार सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अनिवार्य है। साथ ही संक्रमित मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग और घर के आसपास सफाई का रखा जाना जरूरी है। यह सभी संदेश नाटक के जरिये दिये गये।

नरवल तहसील पर हुए आयोजन में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बताया गया कि 10 से 28 अगस्त तक के अभियान में दवा का सेवन आशा कार्यकर्ता के सामने ही करना है । अगर उस समय घर पर उपलब्ध नहीं हैं तो आशा कार्यकर्ता के घर जाकर दवा उनके सामने ही खाएं। दो वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को इस दवा का सेवन करना है। सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोग दवा का सेवन नहीं करेंगे। बीपी, शुगर, थायरॉयड जैसी बीमारियों में भी दवा का सेवन करना है। इस बार एक से दो वर्ष के बच्चों को इसी अभियान के दौरान पेट के कीड़े मारने की दवा खिलाई जाएगी।

जिला मुख्यालय में जिलाधिकारी विशाख जी के निर्देशन में हुए नुक्कड़ नाटक में बताया गया  कि सामान्यतः फाइलेरिया में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं ।  इस संदेश पर जोर दिया गया कि फाइलेरिया की दवा परजीवियो को मार देती है । मरते हुए परजीवियो के प्रतिक्रिया स्वरूप सरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी और बदन में चकत्ते जैसी मामूली प्रतिक्रियाएं भी दिखती हैं । ऐसे लक्षण जिनमें नजर आ रहे हैं उन्हें घबराना नहीं चाहिए, बल्कि खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया के संक्रमण से बच गये । ऐसे लक्षण आमतौर पर स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं ।

जिला मुख्यालय में एडवोकेट रवि ने नाटक देखने के बाद कहा कि हमारे पड़ोसी चाचा को दोनों पैरों में फाइलेरिया है| हमें तो पता ही नहीं था कि यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है| हम तो कुछ और ही समझते रहे| अब हमें सही जानकारी मिली है| हम स्वयं भी दवा खाने में आनाकानी नहीं करेंगे और साथ ही लोगों को दवा खाने की सलाह भी देंगे| ब्लॉक सरसौल के बाबा विश्वनाथ सत्तीदीन स्मारक स्कूल में नुक्कड़ नाटक के मंचन के बाद बारहवीं कक्षा के छात्र हरिओम ने नाटक की सराहना करते हुए कहा - हमें इस नाटक से बहुत सी जानकारियाँ मिलीं। जैसे फाइलेरिया की दवा सरकार द्वारा सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के माध्यम से साल में एक बार खिलाई जाती है। तीन साल तक दवा का सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।