- कोल्ड चेन के कारण अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और असरकारक होते हैं टीके
- जिले के 84 कोल्ड चेन हैंडलर्स का किया गया क्षमता संवर्धन
गोरखपुर - बच्चों को तेरह प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए पांच वर्ष की आयु तक सात बार नियमित टीकाकरण आवश्यक है । इन सभी प्रमुख टीकों की उपलब्धता स्वास्थ्य केंद्रों से लाभार्थी तक गुणवत्तापूर्ण तरीके से सुनिश्चित की जा रही है । टीके की आपूर्ति के सभी स्तरों पर कोल्ड चेन के कारण भी सरकारी अस्पताल का टीका अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और असरकारक होता है । इस संबंध में जिले के 84 कोल्ड चेन हैंडलर्स को तकनीकी जानकारियां देकर उनका क्षमता संवर्धन किया गया है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा के पर्यवेक्षण में क्षमता संवर्धन कार्यक्रम चलाया गया और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया है । कोल्ड चेन हैंडलर्स की भूमिका टीके की गुणवत्ता बनाये रखने में अहम होती है । यह लोग सुनिश्चित करते हैं कि स्वास्थ्य केंद्र पर बने कोल्ड चेन में टीके को दो से आठ डिग्री तापमान के बीच बरकरार रखा जाए । अवकाश के दिनों में भी कोल्ड चेन के तापमान पर नजर रखी जाती है । हैंडलर्स को दिशा निर्देश है कि वह वैक्सीन का स्टॉक ऑनलाइन अपडेट रखें । साथ ही जहां किसी प्रकार के टीके की कमी है वहां आसपास के कोल्ड चेन से भी टीके उपलब्ध कराए जाते हैं।
डॉ दूबे ने बताया कि कोल्ड चेन हैंडलर्स को यूनिसेफ के डीएमसी डॉ हसन फहीम और यूएनडीपी संस्था के प्रतिनिधि राजीव रंजन व पवन कुमार सिंह की मदद से तकनीकी जानकारियां दिलवाई गई हैं । उन्हें खासतौर पर बताया गया कि मुख्य स्टोर से स्वास्थ्य केंद्र और वहां से सत्र स्थल तक टीका ले जाने में तापमान को बनाये रखना है । कोल्ड चेन पर लॉगबुक को हमेशा मेंटेन रखना है और समय समय पर अपने केंद्र के उच्चाधिकारी से कोल्ड चेन का पर्यवेक्षण भी करवाना है । इस अवसर पर गौरव राय, देवेंद्र सिंह, विशाल सिंह और शिव धनी प्रसाद प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
कोल्ड चेन पर रखना है ध्यान : चरगांवा ब्लॉक की कोल्ड चेन हैंडलर प्रतिभा ने बताया कि प्रशिक्षण में इस बात पर जोर दिया गया कि कोल्ड चेन पर अगर कोई टीका खुलने के कारण खराब हो चुका है तो उसे अलग रखा जाए । उसे कोल्ड चेन सिस्टम से बाहर कर दिया जाए ताकि वह गलती से भी सत्र पर न जा सके । टीकाकरण में ओपेन वायल का प्राथमिकता के आधार पर इस्तेमाल करना है ताकि वह बर्बाद न हो। प्रयास होना चाहिए कि टीके का कोल्ड चेन कभी टूटने न पाए। अगर कोई तकनीकी बाधा आती है तो कोल्ड चेन बाक्स या आवश्यकता पड़ने पर टीकों का ट्रांसफर कर उनकी गुणवत्ता बनाए रखना है ।