दूर हुईं भ्रांतियां आईयूसीडी पर मजबूत हुआ भरोसा



  • विश्व गर्भनिरोधक दिवस(26 सितम्बर ) पर विशेष
  • वर्ष 2022-23 में 14,389 महिलाओं ने आईयूसीडी को अपनाया
केस-1 : शहरी क्षेत्र के बिरहाना निवासी दो साल के बच्चे की मां 21 वर्षीय सीमा ( बदला हुआ नाम) ने 2021 में इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी) लगवाई थी ।  सब कुछ ठीक चल रहा था, वैवाहिक जीवन भी सुखी था लेकिन  जून 2023 के अंतिम सप्ताह में उन्हें किसी ने जानकारी दी कि आईयूसीडी अगर काफी समय तक शरीर में रहती है तो वह गले तक पहुँच सकती है और फिर उसे निकलवाने के लिये ऑपरेशन करना होता है। इस बात से घबराकर जब वह शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजेन्द्र नगर आईयूसीडी निकलवाने के लिए आईं तो यहाँ की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. रुमाना ने योनि के मॉडल को दिखाकर सीमा को समझाया कि आईयूसीडी कभी भी ऊपर नहीं जाएगी, अगर निकलनी होगी तो वह योनि से नीचे आएगी। इसके अलावा स्टाफ नर्स सुनीता देवी और शिखा शर्मा ने भी उन्हें अन्य लाभार्थियों से मिलवाया, जिन्हें आईयूसीडी अपनाए हुए चार साल से ज्यादा हो गये हैं। इसके बाद सीमा के संदेह का समाधान हुआ और उन्होंने आईयूसीडी नहीं निकलवाई |

 

केस -2 : राजेन्द्र नगर निवासी 25 वर्षीय सोनी (परिवर्तित नाम) ने इसी वर्ष अप्रैल माह में  आईयूसीडी लगवाई | कुछ समय के अंतराल में उन्हें पेट में दर्द होने पर उन्हें यह संदेह हुआ कि आईयूसीडी पेट में चली गई है और इस वजह से उन्हें दर्द हो रहा है। उनकी भी काउंसलिंग की गई और अल्ट्रासाउंड करवाकर उन्हें दिखाया और समझाया गया। उन्हें पेट में गैस की समस्या है। इसके साथ ही  डा. रुमाना और स्टाफ नर्स सुनीता देवी और शिखा ने उनकी काउंसलिंग भी की। इसके बाद उन्होंने भी निर्णय लिया कि वह अब आईयूसीडी नहीं निकलवाएंगी।  

डा. रुमाना बताती हैं कि हम लाभार्थी को बास्केट ऑफ च्वाइस की जानकारी देते हैं यानि परिवार नियोजन के कई साधन लाभार्थी को दिखाए जाते हैं और उसके बारे में जानकारी दी जाती है। यह लाभार्थी की मर्जी है कि वह कौन सा साधन अपनाएं। महिलायें आईयूसीडी अपना तो लेती हैं, लेकिन लोगों के बहकावे में आकर वह उसे निकालने का मन बना लेती हैं।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल बताते हैं कि आईयूसीडी को लेकर महिलाओं में भरोसा बढ़ा है जो कि पिछले तीन साल के आंकड़ों स्पष्ट है। साल 2020-21 में 3,727 महिलाओं ने आईयूसीडी अपनाई, वहीं साल 2021-22 में संख्या दोगुनी से भी ज्यादा 8,641 हो गई | साल 2022-23  में 14,389 महिलाओं ने इसे अपनाया ।

क्या कहती हैं विशेषज्ञ : आईयूसीडी को लेकर लोगों में इस तरह की भ्रांतियां हैं। अगर सही से इन भ्रांतियों का निराकरण न किया जाए तो महिलाएं इसे अपनाएंगी ही नहीं। यह परिवार नियोजन की सबसे सुरक्षित गैर हार्मोनल विधि है जो कि लंबी अवधि के लिये कारगर है। - डा. सुजाता देव, वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय