- फाइलेरिया मरीजों को प्रदान की गयी एमएमडीपी किट
- कठवारा पीएचसी पर फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता प्रबंधन पर अभिमुखीकरण
लखनऊ - बक्शी का तालाब ब्लॉक के कठवारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और स्वयंसेवी संस्था पाथ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफॉर) के सहयोग से फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) पर अभिमुखीकरण किया गया। इस मौके पर 64 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट भी प्रदान की गयी।
इस अवसर पर बक्शी का तालाब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक डा. जे.पी.सिंह ने कहा कि फाइलेरिया जिसे हाथी पाँव भी कहते हैं। यह यह लाइलाज बीमारी है जिसको केवल प्रबंधन से ही नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए एमएमडीपी किट दी गई है। किट में तौलिया, साबुन टब और मग आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो भी समान दिया गया है उसका उपयोग फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल में करें। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल करने के बारे में जो जानकारी दी जाए उसको अमल में लाएं।
उचित देखभाल न करने से फाइलेरिया रोगी दिव्यांग हो सकता है और व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
इस मौके पर पाथ के प्रतिनिधि डा. अनंत विशाल ने उपस्थित फाइलेरिया मरीजों को बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल इसलिए भीजरूरी है, ताकि उनमें व्यापक मूवमेंट हो और सूजन न बढ़े। इसके अलावा महिलाएं फाइलेरिया ग्रसित पैरों में बिछिया या पायल और हाथों में अंगूठी या चूड़ियाँ पहनने से बचें।
सीफार के सर्वेश ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के बारे में बताया कि फाइलेरिया रोगी को प्रभावित अंगों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए | प्रभावित अंगों को साबुन से धोना चाहिए लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि साबुन को सीधे प्रभावित अंगों पर नहीं लगाना लगाएं बल्कि साबुन का फेना बनाकर और उसे ऊपर से नीचे की ओर हल्के हाथों से लगाना चाहिए। फिर पोंछकर उस पर एंटी सेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए | सर्वेश ने व्यायाम करके भी दिखाया।
इस मौके पर पहले से एमएमडीपी का प्रशिक्षण प्राप्त 35 वर्षीय फाइलेरिया मरीज कौशल ने बताया कि उन्होंने लगभग आठ माह पहले भी यह प्रशिक्षण लिया था और प्रशिक्षण के दौरान जो व्यायाम और साफ सफाई के बारे में बताया गया था। उस पर अमल किया जिसके परिणाम स्वरूप बाएं पैर में सूजन में कमी आ गई। इस बारे में मैं गाँव में अन्य लोगों को भी बताता हूँ और इस प्रशिक्षण में गाँव के कोटेदार को भी लेकर आया हूँ जो कि फाइलेरिया से ग्रसित हैं।
इन्हीं में से ग्राम नगुवा मऊ कलां निवासी फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य रामदास जो कि पहली बार प्रशिक्षण ले रहे थे उन्होंने कहा कि जो भी बातें यहाँ उन्हें बताई गई हैं वह उनका प्रयोग अपने जीवन में प्रतिदिन करेंगे। यह उनकी जिंदगी से जुड़ा हुआ है।
इस मौके पर बीसीपीम अजीत कुमार यादव, फार्मासिस्ट अरुण कुमार, एएनएम सुमन,आशा संगिनी विद्यावती, आशा कार्यकर्ता सहित पीएचसी के कर्मचारी, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) की प्रतिनिधि और फाइलेरिया नेटवर्क समूह के 64 मौजूद रह।