मातृ एवं शिशु के उचित पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से बच्चों के जन्म के बीच अंतर जरूरी



  • प्रसव पश्चात जल्द ही गर्भधारण करने से माँ व शिशु के स्वास्थ्य के लिए जोखिम
  • लंबे समय तक गर्भ धारण से छुटकारा दिलाने में पीपीआईयूसीडी बेहद मददगार
  •  कानपुर मंडल में प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन में बढ़ी दिलचस्पी
  • परिवार नियोजन मातृ-शिशु मृत्यु रोकने के लिए भी जरूरी

कानपुर नगर - मां एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखना चाहिए। उससे पहले दूसरे गर्भ को धारण करने के लिए महिला का शरीर ठीक से तैयार नहीं हो पाता है। पहले बच्चे के उचित पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बहुत जरूरी होता है। इसलिए प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन साधन अपना कर शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता हैं। यह कहना है चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल की अपर निदेशक डॉ अंजू दुबे का।
 
 राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेंसी (सिफ्प्सा) के मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक राजन प्रसाद का कहना है कि यदि महिला प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन अपनाती है तो इससे लम्बे समय तक अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है। बार बार गर्भपात या असुरक्षित गर्भपात जैसी परेशानियों से बचाने में भी परिवार नियोजन साधन काफी कारगर हैं। मातृ और शिशु मृत्यु दर बढ़ने के आधारभूत कारण कम उम्र में शादी, गर्भधारण, कम अंतराल पर बच्चों का पैदा होना और ज्यादा बच्चे पैदा होना आदि हैं। यदि शादी भी सही उम्र में हुई है तो उसके बाद बच्चों में कम अंतराल होने पर भी माँ और बच्चे दोनों की सेहत को ख़तरा होता हैं। कम उम्र में शादी और कम अंतराल में बच्चे होने से माँ के शरीर में कमजोरी आती हैं। गर्भ धारण से पहले माँ का मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होना बेहद आवश्यक है।

गर्भाशय के भीतर लगने वाला सुरक्षित उपकरण है आईयूसीडी : अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ. आरवी सिंह ने बताया कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर महिला इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस  (आईयूसीडी) अपना सकती है। यह गर्भाशय के भीतर लगने वाला छोटा उपकरण है, जो कि दो प्रकार का होता है- पहला कॉपर आईयूसीडी 380 ए- जिसका असर दस वर्षों तक रहता है, दूसरा है- कॉपर आईयूसीडी 375 जिसका असर पांच वर्षों तक रहता है।

लाभार्थी संतुष्ट, बोले अच्छा विकल्प : तीन साल पूर्व पहले बच्चे को जन्म देने के बाद कल्याणपुर की प्रेमवती ने प्रसव के बाद ही आईयूसीडी का विकल्प चुना था। इन तीन सालों में उन्हें इस साधन को अपनाने के बाद किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं आई, आज वह संतुष्ट हैं। इसी वर्ष मई माह में प्रीति ने भी पोस्टपार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) का विकल्प का चुनाव किया। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पहले बच्चे के जन्म के बाद प्रीति को वहां से जानकारी मिली और वह इसके लिए राजी हो गई।

कानपुर मंडल में साल दर साल बढ़ रहा है आंकड़ा : कानपुर मंडल के सभी छह जिलों में परिवार नियोजन के साधन के रूप में पीपीआईयूसीडी अपनाने वालों का साल दर साल आंकड़ा बढ़ रहा है, जो कि अच्छा संकेत है। लोग परिवार नियोजन को लेकर जागरूक हो रहे हैं। मंडलीय एफपीएलएमआईएस प्रबंधक अर्जुन प्रजापति ने बताया कि वर्ष 2020-21 में 34965 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी का चुनाव किया। वर्ष 2021-22 में 56577 महिलाओं ने  2022-23 में 58261 और वर्ष 2023-24 में (सितम्बर तक) 26588 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी के विकल्प को चुना है । उन्होंने बताया की प्रसव बाद पीपीआईयूसीडी अपनाने पर तीन सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।