कुष्ठ रोग के लक्षण हों तो तत्काल कराएं जांच, भ्रांतियों से रहें दूर



  • 21 दिसम्बर से 4 जनवरी तक चलेगा सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान
  • समस्त सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है कुष्ठ रोग का इलाज   - डीएलओ

कानपुर नगर - समाज में अब भी यह भ्रांतियां व्याप्त हैं कि कुष्ठ रोग आनुवंशिक कारणों, अनैतिक आचरण, पूर्व जन्म के पाप कर्म का फल है। छुआछूत आदि से होता है। यह बात पूर्णतया गलत है। यह रोग माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है। यह मुख्यत: मानव त्वचा की ऊपरी झिल्ली, तंत्रिका तंत्र, आंखों एवं शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। रोगी के शरीर पर हल्के अथवा तांबे रंग के चकत्ते होना इसके प्रारंभिक लक्षण हैं, जिसमें सुन्नपन होता है। चकत्ते वाले भाग पर ठंडा गर्म महसूस नहीं होता है। कुष्ठ रोग का इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) द्वारा कराने पर यह पूर्णतया ठीक हो जाता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन का।

डॉ रंजन मंगलवार को सीएमओ कार्यालय के आरसीएच सभागार में हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। जिले में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के उद्देश्य से आगामी 21 दिसम्बर से सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा। अभियान के कुशल संचालन के लिये  चिकित्सा अधिकारियों, एनएमए, एनएमएस, हेल्थ एजुकेटर का दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ ।    

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी (डीएलओ) डॉ.  महेश कुमारने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देशन में सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान 21 दिसम्बर से 4 जनवरी तक चलेगा। अभियान के लिए 5390 टीम तैयार की गई हैं। प्रत्येक टीम में आशा कार्यकर्ता के साथ एक पुरुष कार्यकर्ता भी तैनात किया गया है । आशा कार्यकर्ता संभावित महिला रोगी की एकांत में जांच करेंगी, जबकि पुरुष कार्यकर्ता पुरुषों की जांच करते हैं । कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों से सरकारी प्रावधानों के अनुसार इलाज शुरू कराया जाता है ।उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग का इलाज समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि घर-घर जाने वाली टीम  लक्षणों के आधार पर कुष्ठ रोगी की पहचान करेगी।

कुष्ठ रोग के लक्षण :
• त्वचा के रंग मे कोई भी परिवर्तन (त्वचा पर लाल रंग या फीके रंग का धब्बा) साथ ही उसमें पूर्ण रूप से सुन्नपन अथवा सुन्नपन का अहसास होता है।
• चमकीली व तैलीय त्वचा।
• कर्ण पल्लव का मोटा होना, कर्ण पल्लव पर गांठें/त्वचा पर गांठें
• नेत्रों को बन्द करने में दिक्कत या उससे पानी आना |
• भौहों का खत्म होना।
• हाथों में घाव या दर्द रहित घाव अथवा हथेली पर छाले
• कमीज या जैकेट के बटन बन्द करने में असमर्थता।
• हाथ या पैर की उंगलियाँ मुड़ना
• फूट ड्रॉप अथवा चलते समय पर पैरों का घिसटना ।

दो प्रकार की होती है बीमारी : जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ संजय ने बताया कि कुष्ठ रोग दो प्रकार के होते हैं। अगर शरीर में सुन्न दाग धब्बों की संख्या पांच या इससे कम हैं और बीमारी में नसें शामिल नहीं हैं तो इसे पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोग कहते हैं । यह रोग इलाज के बाद छह माह में ठीक हो जाता है । अगर शरीर पर सुन्न दाग धब्बों की संख्या पांच से अधिक है और नसें भी प्रभावित हुई हैं तो यह मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोग होता है और इसके इलाज में बारह माह लगते हैं । कुष्ठ न तो छुआछूत की बीमारी है और न ही आनुवंशिक। समय से पहचान होने पर इसका सम्पूर्ण इलाज संभव है ।

जिले की स्थिति :  डॉ संजय ने बताया कि वर्ष 2023-24 में नवंबर माह तक 185 नये कुष्ठ रोगी मिले हैं, जिसमें 67 पासी बेसिलाई (पीबी) और 118 मल्टी बेसिलाई (एमबी) हैं।  इस बार 21 दिसम्बर से अभियान शुरू हो रहा है, जिसमें और नये कुष्ठ रोगियों को खोजने का प्रयास है । समय से कुष्ठ रोग की पहचान और इलाज न होने पर दिव्यांगता का खतरा हो सकता है