राम मंदिर के भूतल में गर्भगृह व चार मंडप तैयार



  • ट्रस्ट ने जारी कीं राम मंदिर की भव्य व दिव्य तस्वीरें

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच मंदिर निर्माण कार्य को अंतिम रूप दिए जाने का काम तेज कर दिया गया है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को भी मंदिर निर्माण की कुछ तस्वीरें जारी की हैं जिसमें  मंदिर में लगे पत्थरों पर उकेरी गईं नक्काशीदार आकृतियों को दिखाया गया है। ट्रस्ट सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि मंदिर के भूतल में गर्भगृह और चार मंडप तैयार कर लिया गया है। यह मंदिर उत्तर भारत का ऐसा मंदिर होगा, जिसकी भव्यता सबसे अलग होगी।

धर्मपथ पर सूर्य स्तंभ लगाने का काम शुरू : राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामनगरी को सूर्य स्तंभ से सुसज्जित करने का काम शुरू कर दिया गया है। धर्मपथ पर लगने वाले 40 सूर्य स्तंभों से रामनगरी का आकर्षण और बढ़ जाएगा। इसके अलावा पूरे नगर क्षेत्र में 25 श्रीराम स्तंभ भी लगाने का काम शुरू हो गया है।  सूर्य स्तंभ लगाने का कार्य कर रही महाराष्ट्र की सन सिटी इनोवेशन कंपनी के आर्किटेक्ट सचिन ने बताया कि श्रीराम जब त्रेगायुग में वनवास काट कर अयोध्या पहुंचे थे तो उनका सूर्यवंशी परंपरा से स्वागत किया गया था। आज पुनः उसी दृश्य को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए धर्मपथ पर 9 मीटर ऊंचे दोनों पटरियों पर 20-20 सूर्य स्तंभ लगाने का कार्य किया जा रहा है। स्तंभ के ऊपर लाइट इस तरह से लगाया जाएगा, जैसे सूर्य प्रकाश मान हो रहा हो। इस कार्य को दिसंबर तक पूरा करने लक्ष्य है। धर्मपथ पर स्थापित किए जा रहे सूर्य स्तंभ में गदा और धनुष का चिह्न भी प्रतीक के रूप में दिखाई देगा। साथ ही स्तंभ पर गोल आकार की लाइट लगाई जाएगी, जो सूर्य के तरह प्रकाश मान होगी।  

अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह का कहना है कि अयोध्या में सूर्य का विशेष महत्व है। श्रीराम सूर्यवंशी थे। इसलिए सूर्य स्तंभ और सोलर सिटी के रूप में अयोध्या को विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। स्तंभों के माध्यम से सूर्य की जो महिमा है उसे प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं के मन में श्रद्धा भाव आए इसके लिए सूर्य स्तंभ लग रहे हैं। वहीं ब्रह्मा कुंड गुरुद्वारा पर बनाए गए टेंट सिटी पर श्रीराम के चरण पादुका का चिह्न स्थापित किया गया है जबकि मोहबरा चौराहे पर सीताजी के चूड़ामणि का चिह्न प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया है।