पल्स पोलियो की तर्ज पर चलेगा सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान : जिला कुष्ठ रोग अधिकारी



  • आगामी 21 दिसंबर से शुरू होगा 14 दिवसीय सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान
  • 5400 टीमें घर-घर खोजेंगी कुष्ठ रोगी

लखनऊ - राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को कुष्ठ रोग से मुक्त बनाने के लिए 21 दिसंबर से चार जनवरी के मध्य  सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा।

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. ए.के.सिंघल ने बताया कि 21 दिसंबर से शुरू होने वाले सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में सहित पूरे जनपद में चलेगा । अभियान के तहत 5400 टीमें काम करेंगी जो घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की स्क्रीनिंग तो करेंगी ही इसके साथ में लोगों को कुष्ठ रोग के लक्षण, जांच एवं इलाज के बारे में भी जागरुक करेंगी। यह अभियान पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर चलेगा। आशा कार्यकर्ता और पुरुष सहयोगी की टीम घर-घर जाकर संभावित लक्षणों वाले कुष्ठ रोगियों को चिन्हित करने का काम करेंगी। आशा कार्यकर्ता द्वारा महिलाओं की और पुरुष कार्यकर्ता द्वारा पुरुषों की जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जिन क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता नहीं हैं, वहां पर स्वयं सेवकों की टीमें बनाई जा रहीं हैं। वर्तमान में  जनपद में कुष्ठ के 169 मरीज हैं।

जिला कुष्ठ सलाहकार डा. शोमित बताते हैं कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया अपनाते हुए रोगी की शीघ्र पहचान, जांच और इलाज किया जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की करेक्टिव सर्जरी निशुल्क की जाती है और मरीज को श्रम ह्रास के बदले में 12,000 रुपए दिए जाते हैं ।

कुष्ठ एक संक्रामक रोग है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक एसिड-फास्ट रॉड के आकार का बेसिलस है। यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमजोर करता है। कुष्ठ रोग  में त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।  धब्बे संवेदना रहित होते हैं और  रोग की शुरुआत बहुत धीमी गति व  शांति से होती है।  यह तंत्रिकाओं, त्वचा और आंखों को प्रभावित करता है। सभी संक्रामक रोगों में कुष्ठ रोग अत्यधिक घातक  है, क्योंकि इस रोग में स्थाई शारीरिक दिव्यांगता  हो सकती है एवं इस रूप में विशेष रुप से रोग में दिखने वाली दिव्यांगता  ही मरीज के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव के लिए जिम्मेदार है।
 
यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और दिव्यांगता का कारण बन सकता है। कुष्ठ रोगियों के पैरों के तलवों में छाले, मांसपेशियों की कमजोरी और वजन में कमी सामान्य सी बात है।

कुष्ठ रोग का शीघ्र पता चल जाए तो इसका उपचार मल्टी ड्रग थेरेपी (एम.डी.टी.) द्वारा संभव है। एमडीटी के उपचार के बाद इस रोग की पुनरावृत्ति दुर्लभ होती है |  कुष्ठ रोग के लक्षण दिखने पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर एमडीटी निःशुल्क उपलब्ध है।

कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्ति को नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, ताकि उनका पूर्ण इलाज हो सके। लोगों को समाज में कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कुष्ठ रोग से प्रभावित था और उनका इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी(मडीटी) के माध्यम से हो चुका है तो उनके साथ घूमने, बैठने, खाने इत्यादि पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए।
 
कुष्ठ को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियां व्याप्त हैं। इनको जागरूकता के द्वारा ही दूर किया जा सकता है।  इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता लोगों में इन भ्रांतियों को दूर करें और उन्हें जागरूक करें। उन्हें बतायें कि अन्य बीमारियों की तरह यह भी एक बीमारी है और इसकी जांच और इलाज की सुविधा स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है।

कुष्ठ रोग के लक्षणों की जानकारी देते हुए डा. शोमित ने बताया कि शरीर पर हल्के अथवा तांबई रंग के चकत्ते हों और उनमें सुन्नपन हो तो यह कुष्ठ हो सकता है। ऐसे हिस्से पर ठंडा या गरम का एहसास नहीं होता है।