कुष्ठ रोग मुक्त जनपद करने के प्रयासों की कड़ी में अभियान आज से



  • घर-घर दस्तक देंगी स्वास्थ्य विभाग की टीम, चार जनवरी तक चलेगा अभियान
  • वर्तमान मे जनपद के 210 कुष्ठ रोगियों का चल रहा इलाज  

कानपुर नगर - राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद को कुष्ठ से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में 21 दिसंबर से चार जनवरी 2024 तक कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा । इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर कुष्ठ लक्षण युक्त रोगियों को खोजेंगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि कुष्ठ रोग न तो आनुवंशिक है और न ही यह पूर्व जन्म के कर्म का फल । यह एक बीमारी है, जो बैक्टीरिया से होती है। अगर इसकी समय से पहचान और जांच हो जाए तो उपचार से यह एक वर्ष के भीतर ठीक हो जाती है।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ.महेश कुमार का कहना है कि अभियान को सफल बनाने के लिए सभी लोगों की भागीदारी बहुत जरूरी है। कुष्ठ रोग से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जायेगी और लोगों की स्क्रीनिंग करेगी। उन्होंने लोगों से अपील की है कि विभाग की टीम जब घर जाए तो टीम का सहयोग करें, जिससे कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्तियों की सही जानकारी उपलब्ध हो सके। कुष्ठ रोगी का उपचार तुरंत शुरू किया जा सके और वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाए।

जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ संजय ने बताया कि अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए जिले में 5390 टीम बनाई गयी है। प्रत्येक टीम में आशा कार्यकर्ता के साथ एक पुरूष कार्यकर्ता भी रखा गया है। आशा कार्यकर्ता संभावित महिला रोगी की एकांत में जांच करेंगी जबकि पुरुष कार्यकर्ता पुरूषों की जांच करते हैं । कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों से सरकारी प्रावधानों के अनुसार इलाज शुरू कराया जाता है । एक टीम एक दिन में 20 से 25 घरों में जाकर स्क्रीनिंग करेगी। पांच टीमों पर एक सुपरवाइजर होगा जो पांचों टीमों का मूल्यांकन करेगा और अपनी रिपोर्ट के साथ सांय की मीटिंग में प्रतिभाग करेगा। जनपद में वर्तमान मे 45 पॉसिबैसिलरी कुष्ठ रोग (पीबी) व 160 मल्टीबैसिलरी कुष्ठ रोग (एमबी) कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है।

कुष्ठ रोग दो तरह का होता है :

  • पॉसिबैसिलरी कुष्ठ रोग (पीबी)-यह रोग कम संक्रामक होता है। जब किसी व्यक्ति की त्वचा पर लगभग एक से पांच तक सुन्न चकत्ते होते हैं और त्वचा के नमूनों में कोई बैक्टीरिया मिलने की संभावना कम हो जाती है। यह रोग छह माह के उपचार से ठीक हो जाता है।
  • मल्टीबैसिलरी कुष्ठ रोग (एमबी) यह रोग ज्यादा संक्रामक होता है। जब किसी व्यक्ति की त्वचा पर पांच से अधिक दाग धब्बे और उसमें शून्यता होते हैं और नसें मोटी हो जाती हैं। इसका उपचार एक  साल  तक लगातार चलता है।

कुष्ठ रोग के लक्षण :

• त्वचा के रंग में कोई भी परिवर्तन (त्वचा पर लाल रंग या फीके रंग का धब्बा) साथ ही उसमें पूर्ण रूप से सुन्नपन अथवा सुन्नपन का अहसास होना।
• चमकीली व तैलीय त्वचा होना।
• कर्ण पल्लव का मोटा होना, कर्ण पल्लव पर गांठ/त्वचा पर गांठ होना।
• नेत्रों को बंद करने में दिक्कत या उससे पानी आना।
• भौंहों के बालों का झड़ना या खत्म होना।
• हाथों में दर्द रहित घाव अथवा हथेली पर छाले होना।
• कमीज या जैकेट के बटन बन्द करने में असमर्थ होना।
• हाथ या पैर की उंगलियाँ मुड़ना कुष्ठ रोग के लक्षण हो सकते हैं।