बच्चों को कुपोषण व एनीमिया से बचाएगी कृमि नियंत्रण की दवा



  • राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 01 फरवरी को, 05 को होगा मॉप अप राउंड
  • जिले के 20.24 लाख से अधिक बच्चों को खिलाई जाएगी पेट के कीड़े निकालने की दवा
  • जनपद के सभी ब्लॉक व ग्रामीण क्षेत्रों में चलेगा अभियान

 
 कानपुर नगर - राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का दूसरा चरण 01 फरवरी को मनाया जाएगा। इस अवसर पर जिले में एक से 19 साल के 15 लाख से अधिक बालक-बालिकाओं को कृमि से मुक्ति के लिए पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। इसके लिए सोमवार को विकास भवन सभागार में जनपदीय अंतर्विभागीय समन्वय बैठक में अभियान की सफलता को लेकर चर्चा हुई ।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) गजेंद्र प्रताप सिंह ने बैठक में उपस्थित बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए),  जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) और जिला  कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) को निर्देशित किया कि वह अपने स्तर से पत्र जारी करते हुए समस्त स्कूलों (प्राइवेट व सरकारी) तथा आंगनबाड़ी केंद्रों के अधिकाधिक बच्चों को लाभान्वित करने हेतु निर्देशित करें । उन्होंने कहा कि कृमि संक्रमण से बच्चों के स्वास्थ्य पर अनेक हानिकारक प्रभाव होते हैं। जैसे खून की कमी, एनीमिया, कुपोषण, भूख न लगना, बेचैनी, पेट में दर्द, उल्टी और दस्त, वजन में कमी आना। कृमि संक्रमण चक्र की रोकथाम के लिए सभी बच्चों को कृमि की दवा देना आवश्यक है। इसी उद्देश्य से एक फरवरी को पूरे जिले के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने कहा की जनपद में 01 फरवरी को 20 लाख 24 हज़ार 600 से बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे हर हाल में पूरा करने की कोशिश की जायेगी। उन्होंने कहा कि इसमें एक से पांच साल तक के सभी पंजीकृत बच्चों के साथ ही  छह से 19 साल तक के स्कूल जाने वाले सभी बालक-बालिकाओं को  उनके विद्यालय में दवा खिलायी जायेगी। अभियान में उन बच्चों को भी दवा खिलायी जायेगी जो स्कूल नहीं जाते है। साथ ही ईंट-भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों के  बच्चों को भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाई जाएगी। यह अभियान समस्त दस ब्लॉक व शहरी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चलाया जाएगा।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सुबोध प्रकाश ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 01 फरवरी को दवा खाने से छूट गये बच्चों के लिए 05 फरवरी को मॉप अप राउंड आयोजित होगा। इसमें छूटे हुए बच्चों को भी दवा से आच्छादित कर लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने का प्रयास किया जायेगा। डीईआईसी प्रबंधक अजीत सिंह ने बताया की कृमि से बचाव की दवा बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए सुरक्षित है। एक से तीन साल तक के बच्चों को निर्धारित मात्रा में गोलियों का चूरा बना कर खिलाया जाता है, जबकि इससे अधिक आयु के लोगों को उम्र के अनुसार निर्धारित मात्रा में गोली चबा कर खानी है । खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है । कुछ बच्चों में दवा के सेवन के बाद उल्टी, मिचली और चक्कर आने जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं जिनसे घबराने की आवश्यकता नहीं है । यह सामान्यतया अपने आप ठीक हो जाते हैं ।

बैठक में बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, डीसीपीएम, प्रतिनिधि एविडेंस एक्शन तथा ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों सहित मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व शहरी स्वास्थ्य इकाइयों से बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी शामिल रहे।

 कृमि मुक्ति के फायदे :

  • स्वास्थ्य और पोषण में सुधार
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
  • एनीमिया नियंत्रण
  • सीखने की क्षमता में सुधार

 
 कृमि संक्रमण के लक्षण :

  • दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना कृमि संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं ।
  • बच्चे के पेट में कीड़े की मात्रा जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे।
  • हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।