- स्वास्थ्य विभाग ने एचआईवी ग्रसित 480 टीबी मरीजों की पहचान कर दी इलाज की सुविधा
- जिले में एचआईवी ग्रसित 55 टीबी मरीजों का इलाज जारी
गोरखपुर - एचआईवी से ग्रसित टीबी मरीजों के ठीक होने में समय लगता है और उन्हें जटिलताएं भी कहीं ज्यादा होती हैं, लेकिन समय से इस सहरूग्णता की पहचान हो जाए तो ऐसे टीबी मरीज भी जल्दी ठीक हो सकते हैं । बीते पांच वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने एचआईवी ग्रसित ऐसे 480 टीबी मरीजों की पहचान कर उन्हें इलाज की सुविधा से जोड़ा है । जिले में इस समय एचआईवी ग्रसित 55 टीबी मरीजों का इलाज जारी है । टीबी की पहचान होने पर प्रत्येक मरीज की एचआईवी जांच और एचआईवी के साथ टीबी का लक्षण दिखने पर मरीज की टीबी जांच अनिवार्य है ।
पिपराईच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एचआईवी कांउसर मनीषा से परामर्श ले रहे 35 वर्षीय एचआईवी मरीज हितेश (काल्पनिक नाम) मुंबई में पेंटिंग का काम करते थे । कोविड के समय वह गोरखपुर लौट आए। फरवरी 2023 में तीन हफ्ते के बुखार, कमजोरी और शरीर में फफोले आदि की दिक्कत हुई तो पिपराईच सीएचसी पर चिकित्सक ने उनकी एचआईवी जांच कराई। उनमें एचआईवी संक्रमण से होने वाली बीमारी एड्स की पुष्टि हुई। उनकी दवा बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर से शुरू की गयी । दवा चलने के बावजूद मार्च 2023 में उन्हें बुखार की दिक्कत बनी रही और खांसी भी आने लगी । मेडिकल कॉलेज में ही उनकी टीबी जांच भी कराई गई तो उनके भीतर फेफड़े के टीबी की पुष्टि हुई । वह बताते हैं कि एचआईवी की दवा तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज से चलती रही लेकिन टीबी की एक माह की दवा देकर आगे की दवा के लिए उन्हें पिपराईच सीएचसी रेफर कर दिया गया । उन्हें हर महीने टीबी की दवा सीएचसी से ही मिलती रही । एचआईवी काउंसलर मनीषा टीबी के इलाज के दरम्यान उनके गांव का विजिट कर पूरी गोपनीयता के साथ उन्हें परामर्श देती रहीं ।
हितेश बताते हैं कि जब उनकी पत्नी को पता चला कि उन्हें एचआईवी और टीबी दोनों है तो वह उनकी इकलौती बेटी के साथ मायके चली गयी। ससुराल वालों ने पत्नी को वापस भेजने से मना कर दिया। जांच में पत्नी और बच्ची टीबी एवं एचआईवी निगेटिव थे। परिवार दूर हो जाने पर वह जिंदगी से इतना निराश हो गये कि कई बार आत्महत्या का ख्याल मन में आया, लेकिन काउंसलर ने उन्हें समझाया की टीबी छह माह में ही ठीक हो जाएगी । एचआईवी की दवा लगातार लेते रहेंगे और जीवनचर्या सही रखेंगे तो वह लम्बे समय तक जी सकते हैं । निक्षय पोषण योजना के तहत उन्हें 500 रुपये प्रति माह के हिसाब से 3000 रुपये उनके खाते में भी आए जो उनके पौष्टिक खानपान में सहारा बने। वह किसी प्रकार नशा आदि नहीं करते हैं जिसकी वजह से उन्हें ठीक होने में और आसानी हुई । टीबी की दवा अब बंद हो चुकी है और एचआईवी के लिए एक गोली रोज खाते हैं।
दोनों का इलाज साथ साथ जरूरी : जिला क्षय और एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ गणेश यादव का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक टीबी मरीज की एचआईवी जांच करवाता है। एचआईवी की पुष्टि होने पर टीबी और एचआईवी की दवा साथ साथ चलती है । ऐसा करने से टीबी मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और उसका जटिलताओं से भी बचाव होता है । निजी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले टीबी मरीजों को भी चिकित्सक की सहमति से इस जांच की सुविधा सरकारी अस्पतालों में दी जा रही है । एचआईवी ग्रसित टीबी मरीजों के जीवनसाथी की भी जांच कराई जाती है ।
टीबी के लक्षण :
- दो सप्ताह से अधिक की खांसी
- पसीने के साथ बुखार
- अत्यधिक कमजोरी
- भूख न लगना
- बलगम में खून आना
- सीने में दर्द
एचआईवी के लक्षण :
- वजन का कम होना
- एक महीने से अधिक बुखार आना
- एक महीने से अधिक का दस्त
एड्स के लक्षण :
- लगातार खांसी
- चर्म रोग
- मुंह एवं गले में छाले होना
- लसिका ग्रंथियों में सूजन एवं गिल्टी
- याददाश्त खोना
- मानसिक क्षमता कम होना
- शारीरिक शक्ति का कम होना