-इंस्पायर इन्क्लूसन की थीम पर मनाया जाएगा इस वर्ष विश्व महिला दिवस
-महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकारों की पूर्ति में आशाओं की महत्वपूर्ण भूमिका
कानपुर नगर -देश की न्याय प्रणाली आधी आबादी यानि महिलाओं को पुरुषों के बराबर मानती है लेकिन समाज में महिलाओं की स्थिति को देखते हुए उन्हे कुछ विशेष स्वास्थ्य अधिकार दिए गए हैं। इसमें खासकर प्रजनन अधिकार शामिल है। इन स्वास्थ्य अधिकारों तक पहुंच बनाने में आशा की एक अहम भूमिका होती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि विश्व महिला दिवस आज 'समावेशन को प्रेरित करें' थीम पर मनाया जा रहा हैI महिलाओं को एक सुरक्षित एवं स्वस्थ कल देने के लिए उन्हे उनके स्वास्थ्य एवं प्रजनन संबंधी अधिकारों तक इसकी पहुंच बहुत आवश्यक है ।
भारतीय संविधान महिलाओं को अन्य के साथ स्वास्थ्य संबंधी विषयों में भी समानता का अधिकार देता हैI इसके अतिरिक्त आर्टिकल 21 स्वास्थ्य संबंधी मौलिक अधिकार प्रदान करता हैI जो कि महिलाओं को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता हैI महिलाओं के लिए सभी मानव अधिकारों की प्राप्ति के लिए प्रजनन अधिकार की प्राप्ति आवश्यक हैं। इसमें आशा कार्यकर्ता जो स्वास्थ्य विभाग की अहम इकाई के रूप में कार्य कर रही हैंI वह महिलाओं के स्वास्थ्य खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी बखूबी संभाल रही हैं। स्थानीय होने के नाते आशा गांव या क्षेत्र के हर घर के बारे में जानती हैं। ऐसे में वह सभी महिलाओं और किशोरियों को स्वास्थ्य के संबंधी अधिकारों के साथ अन्य मानव अधिकारों के बारे में भी जागरूक कर सकती हैं। इससे सकारात्मक प्रजनन स्वास्थ्य परिणाम जैसे कि सुरक्षित एवं स्वस्थ गर्भधारण की परिकल्पना को बल मिलेगा ।
जनपद के जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ सीमा श्रीवास्तव का कहना है कि महिला हो या पुरुष अच्छी सेहत और स्वास्थ्य सुविधाओं पर दोनों का समान अधिकार है। क्योंकि एक स्वस्थ महिला ही एक स्वस्थ पीढ़ी को जन्म दे सकती हैI इसके साथ ही स्वास्थ्य अधिकार व्यक्ति के मूल अधिकारों में भी शामिल हैI महिलाओं को गुणवत्ता परक एवं निकटतम स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनेकों योजनाएँ चलाई जा रही हैंI जो कि किशोरावस्था से लेकर मातृ स्वास्थ्य तक अलग अलग प्रकार से स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराती हैंI
आशाओं की आवाज़ : सरसौल ब्लॉक के हाथीपुर गाँव में 15 साल से आशा कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही चंदर्वती कहती हैं कि महिलाओं के लिए उनके प्रजनन एवं परिवार नियोजन से संबन्धित अधिकारो कि जागरूकता बहुत आवश्यक हैI वह बताती हैं कि गाँव में वह महिलाओं को उनके प्रजनन से संबन्धित अधिकारों के बारे में जागरूक करने का प्रयास करती हैं साथ इस बात का पूर्णतया ध्यान रखती हैं कि कोई महिला अपने स्वास्थ्य के अधिकारों से वंचित न रह जायेI
इसी ब्लॉक के हाथेरुआ गाँव में 13 साल से आशा के पद पर कार्यरत विमलेश शुक्ला बताती हैं कि महिलाओं के लिए उनके स्वास्थ्य अधिकारो तक पहुँच सुनिश्चित करना आशाओं की ज़िम्मेदारी हैI खासतौर से गर्भवती को एक सुरक्षित एवं स्वस्थ गर्भधारण से लेके प्रसव तक उसके स्वास्थ्य अधिकारों तक पहुंचाना बहुत आवश्यक हैI
प्रजनन और स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकारों में शामिल हैं ये अधिकार :
-सुरक्षित मातृत्व का अधिकार
-शरीर, स्वास्थ्य और परिवार के लिए प्रजनन संबंधी निर्णय लेने का अधिकार
-जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या, व जन्म में अंतर का अधिकारI
-यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने का अधिकार (आपको चिकित्सा, मानसिक और सामाजिक सुविधाओं और सेवाओं तक पहुंच के साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ होने का अधिकार है)
-अपने प्रजनन के बारे में भेदभाव, जबरदस्ती और हिंसा से मुक्ति का अधिकार
-महिला नसबंदी के संबंध में पूर्ण रूप से स्वतन्त्र निर्णय लेने का अधिकारI
-परिवार नियोजन के सुरक्षित और किफायती तरीको को अपनाने की स्वतन्त्रता।