- दवा और मच्छरों से बचाव कर ही फाइलेरिया से बचा जा सकता
- लखनऊ विश्व विद्यालय के नए परिसर के बूथ पर 205 ने खाई फाइलेरियारोधी दवा
लखनऊ। लोगों को फाइलेरिया से बचाने के लिए बीती 10 फरवरी से चलाए जा रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान के लखनऊ विश्वविद्यालय के नए परिसर में एक बूथ लगाया गया। बूथ पर पहुंचकर 205 छात्र-छात्राओं एवं प्रोफेसरर्स ने फाइलेरियारोधी दवा का सेवन किया। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छात्र-छात्राओं को फाइलेरिया होने के कारणों की जानकारी देते हुए बचाव के बारे में भी जानकारी दी।
इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के डॉ. प्रद्युम्न ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के उपाय फाइलेरियारोधी दवा का सेवन और मच्छरों से बचाव करना है। उन्होंने बताया कि साल में एक बार और लगातार तीन साल तक फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। इस बीमारी का उन्मूलन इसलिए जरूरी है कि यह संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के लक्षण संक्रमण होने के 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। तब तक संक्रमित व्यक्ति अन्य स्वस्थ लोगों को संक्रमित करता रहता है। प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के विकास द्विवेदी ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद है। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। यह लक्षण व्यक्ति के लिए सकारात्मक प्रभाव हैं क्योंकि इससे उस व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि उसेक शरीर में फाइलेरिया के परजीवी थे और दवा सेवन के बाद उनकी मृत्यु हो गई है। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं, अथवा ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क किया जा सकता है। इस मौके पर पीसीआई एसएमसी आकाश द्विवेदी, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक बीकेगौतम, मलेरिया निरीक्षक श्वेता चौरसिया आदि उपस्थित रहीं।