धूम्रपान से हो सकती है नपुंसकता : डॉ. सूर्यकान्त



  • विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर केजीएमयू में गोष्ठी आयोजित

लखनऊ। विश्व धूम्रपान निषेध दिवस (वर्ल्ड नो स्मोकिंग डे) पर बुधवार को केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी में विभागाध्यक्ष एवं विभाग में चलने वाली धूम्रपान निषेध क्लीनिक के इंचार्ज डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि लोगों में बड़ी गलतफहमी है कि सिगरेट पीने से मर्दानगी आती है जबकि लंबे समय से सिगरेट पीने वाले पुरुषों में नपुंसकता आ जाती है और उनके वीर्य में स्पर्म की संख्या कम हो जाती है।

डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि तम्बाकू भारत का मूल उत्पाद नहीं है, यह 16वीं शताब्दी में अकबर के शासनकाल में सन् 1556 ई. में पुर्तगाली व्यापारियों द्वारा भारत में लाया गया था। अकबर की अनुमति के बाद तम्बाकू की खेती भारत में होने लगी और आगे चलकर जहांगीर ने तम्बाकू पर टैक्स लगा दिया जो कि आज तक जारी है। हमारे देश में लगभग 12 करोड लोग बीड़ी, सिगरेट, हुक्का या चिलम का उपयोग करते हैं। इससे 40 से अधिक प्रकार के कैंसर जैसे फेफडे का कैंसर, गले का कैंसर, मुंह का कैंसर, आंतों का कैंसर, पेट का कैंसर आदि होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही हार्ट-अटैक, ब्लड-प्रेशर, डायबिटीज, स्ट्रोक, सीओपीडी, टीबी, निमोनिया जैसी बहुत सी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसका 30 प्रतिशत धुंआ उसके फेफड़े में जाता है और शेष 70 प्रतिशत आस पास उपस्थित लोगों के फेफड़ों को नुकसान करता है (परोक्ष धूम्रपान) तथा वातावरण को भी प्रदूषित करता है। सक्रिय धूम्रपान के साथ परोक्ष धूम्रपान भी बराबर का नुकसानदेह  है। इस वर्ष के वर्ल्ड नो स्मोकिंग डे की थीम समर्पित है उन बच्चों के लिए जो तम्बाकू के व्यवसाय में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगे हुए हैं। भारत में करीब 50 लाख से ज्यादा बच्चे इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। इन बच्चों के पुनर्वास के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अन्त में डा. सूर्यकान्त ने सेमिनार के सभी प्रतिभागियों से तम्बाकू एवं धूम्रपान के विरूद्ध जागरूकता फैलाने के लिए हाथ उठाकर शपथ ग्रहण करायी।

गोष्ठी में विभाग के चिकित्सक डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. ज्योति बाजपेयी, डॉ. अंकित कुमार एवं विभाग के सभी रेजिडेन्ट्स, पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर की टीम के कार्डियो रेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. शिवम श्रीवास्तव, डाइटिशियन दिव्यानी गुप्ता और सोशल वर्कर कम-काउंसलर सुकृति मिश्रा और डेटा मैनेजर पवन कुमार पाण्डेय एवं इसके साथ ही विभाग के शोधार्थी एवं विभाग के अन्य लोग भी उपस्थित रहे। इसमें लगभग 200 से अधिक लोगों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया। गोष्ठी के समापन में डॉ. अंकित कुमार ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।