कुपोषण के कारण बौनापन बच्चों में आम समस्या



  • कुपोषण को दूर करने के लिए चल रही कई योजनाएं

लखनऊ - कुपोषण के कारण बच्चों में बौनापन एक आम लेकिन गंभीर समस्या है। पोषणयुक्त आहार न लेने और बार-बार होने वाले संक्रमण के अलावा आनुवंशिक कारण भी बौनेपन के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदेश के एक से छह साल तक के 44 प्रतिशत बच्चे बौनेपन का शिकार हैं। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा जनवरी 2024 में प्रदेश भर में संचालित 1.88 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों के छह साल से कम उम्र के 1.89 करोड़ बच्चों की जांच की गई तो 83.38 लाख बच्चे गंभीर या मध्यम रूप से नाटे (कम लंबाई के) पाए गए हैं।

संजय गांधी परास्नातक चिकित्सा संस्थान कि वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पियाली भट्टाचार्य बताती हैं कि कुपोषण से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। वे कई तरह की अन्य बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इसके साथ ही वजन कम होना, सामान्य बच्चों की तरह मानसिक विकास न होना, शारीरिक क्षमता कमजोर होना और सामान्य बच्चों की तरह लंबाई न बढ़ना पोषण की कमी के कारण होने वाली समस्याओं में शामिल हैं।

वह बताती हैं कि बच्चे की जीवन के प्रारंभिक 1000 दिनों के दौरान देखभाल में कमी होने से बच्चे में उम्र बढ़ने के साथ ही मोटापा, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप के ज्यादा खतरे रहते हैं। उनका मानसिक विकास पूरा नहीं हो पाता है। वे सामान्य बच्चों से पिछड़ जाते हैं। वह कहती हैं कि बच्चों के पोषण की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार ही की नहीं है | माता पिता की भी जिम्मेदारी है । छह माह तक केवल स्तनपान करना, छह माह के बाद अन्नप्राशन संस्कार करना और छह माह की आयु पूरी होने के बाद संतुलित आहार का सेवन कराना जो कि कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, खनिज, विटामिन और रेशेयुक्त हो | इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी भी मां द्वारा बच्चे को देना चहिए। घर में थोड़ी सी भी जमीन हो या पौधे लगाने के लिए तो पुराने टूटे बर्तन में भी साग सब्जी घर पर ही उगाई जा सकती है।

उम्र व लंबाई से होता निर्धारण : बौनेपन का निर्धारण उम्र की तुलना में लंबाई के आधार पर होता है। जन्म के समय सामान्य बच्चे की लंबाई 50 सेमी, एक साल की उम्र पर 75 सेमी, दो साल पर 88 सेमी, चार साल पर एक मीटर होनी चाहिए। इसके बाद स्वस्थ बच्चे में प्रति साल छह से सात सेमी की वृद्धि होनी चाहिए।


सर्वाधिक बौने बच्चों वाले पांच जिले :

  • चित्रकूट - 56 फीसद
  • बलरामपुर - 55 फीसद
  • बांदा - 55 फीसद
  • सीतापुर - 52 फीसद
  • सोनभद्र में 51 फीसद

यह है प्रदेश की तस्वीर : राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के अनुसार सूबे में :

  • 39.7 फीसद बच्चों की लंबाई उनकी आयु के अनुसार कम है।
  • 17.3 फीसद बच्चों का वजन लंबाई के अनुपात में कम है।
  • 7.3 फीसद बच्चों का वजन लंबाई के अनुपात मे बहुत कम है।
  • 32.1 फीसद बच्चों का वजन उनकी आयु के अनुपात में कम है।
  • 3.1 फीसद बच्चों का वजन उनकी लंबाई के अनुपात में अधिक है अर्थात वह मोटापे से ग्रसित हैं।
  • छह से 59 माह की आयु के 66.4 फीसद बच्चे एनीमिया अर्थात खून की कमी से ग्रसित हैं।
कुपोषण दूर करने को यह हैं योजनाएं : कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से तीन साल तक के बच्चे, किशोरियां, गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषण दिए जाने व टीकाकरण किए जाने के साथ ही पोषण को लेकर उनकी क्षमता में वृद्धि की जाती है। इसके अलावा मार्च और सितंबर माह पोषण माह और जून व सितंबर माह में संभव अभियान के दौरान जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, नेशनल आयरन प्लस इनिशियेटिव (निपी), एनीमिया मुक्त भारत, किशोरी दिवस, पोषण पुनर्वास केंद्र आदि कार्यक्रमों एवं योजनाओं का संचालन किया जाता है।