- अपने सांगठनिक कौशल की बदौलत चढ़ी सफलता की सीढ़ियां
बलिया/लखनऊ - छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति का शानदार सफरनामा तय कर चुके दयाशंकर सिंह अब प्रदेश सरकार में मंत्री बनने जा रहे हैं। बिहार में जन्मे दयाशंकर सिंह ने राजनीति का ककहरा अपने मामा पूर्व विधायक मैनेजर सिंह के सानिध्य में रह कर सीखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बलिया नगर से पहली बार निर्वाचित हुए भाजपा विधायक दयाशंकर सिंह का जन्म बिहार के बक्सर जिले के सिमरी प्रखण्ड के राजपुर गांव में 1971 में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा अपने ननिहाल बलिया में हुई। बलिया से स्कूली पढ़ाई के दौरान वे यहीं के होकर रह गए।
दयाशंकर सिंह के बलिया से जुड़ाव की वजह यहां उनका ननिहाल का होना है। उनके मामा बैरिया तहसील के करमानपुर निवासी मैनेजर सिंह तीन बार द्वाबा (अब बैरिया) से विधायक रहे। हालांकि, दयाशंकर सिंह की प्रारंभिक शिक्षा उनके पैतृक गांव राजपुर में ही हुई। अलबत्ता, मिडिल से बारहवीं तक उन्होंने बलिया जिला मुख्यालय स्थित जीआईसी में पढ़ाई की। फिर वे लखनऊ विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के लिए गए। जहां एबीवीपी से जुड़ कर छात्र राजनीति में कदम रखा। वहां 1996 में छात्रसंघ के महामंत्री का चुनाव जीता। फिर 1999 में लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष होने के बाद मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया। इसी दौरान स्वाति सिंह से 2001 में उनकी शादी भी हुई। बाद में दयाशंकर सिंह भारतीय जनता युवा मोर्चा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक पहुंचे। फिर यूपी भाजपा के प्रदेश मंत्री बने। इस बीच उन्होंने 2007 में बलिया नगर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव भी लड़ा लेकिन करारी हार नसीब हुई। हालांकि, उनका चुनावी राजनीति का संघर्ष टूटा नहीं। उन्होंने दो बार एमएलसी चुनाव चुनाव भी लड़ा, परन्तु उसमें भी जरूरी विधायकों का समर्थन नहीं मिलने से उन्हें हार ही मिली। चुनावी राजनीति में दयाशंकर सिंह को बलिया नगर से विधायक के रूप में पहली बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने 23 हजार से अधिक मतों से सपा के पूर्व मंत्री नारद राय को हरा कर विधानसभा में कदम रखा है। जिसका इनाम उन्हें राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पद के रूप में मिला है।
मायावती पर टिप्पणी के बाद दयाशंकर के जीवन में आया नया मोड़ : भारतीय जनता पार्टी में संगठन के कुशल रणनीतिकार के रूप में विख्यात दयाशंकर सिंह 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती पर दिए विवादित बयान के बाद अचानक सुर्खियों में आ गए थे। जिसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से छह सालों के लिए निकाल दिया था। हालांकि, मायावती पर टिप्पणी के जवाब में बसपा के तत्कालीन वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत अन्य नेताओं द्वारा दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी पर अभद्र टिप्पणी के बाद यूपी की राजनीति में हलचल मच गई थी। बसपा नेताओं के खिलाफ दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने मोर्चा खोल दिया था। जिसके बाद हुए चुनाव में सफलता मिलने पर सरोजिनी नगर से विधायक चुनी गईं स्वाति सिंह को योगी सरकार में मंत्री पद से नवाजा गया था। लेकिन इस बार स्वाति सिंह की जगह भाजपा ने दयाशंकर सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें बलिया नगर से चुनावी मैदान में उतारा |