बीमारी कोई भी हो, उपचार से बेहतर होता है बचाव - सीएमओ



  • राष्ट्रीय डेंगू दिवस के अवसर पर सीएमओ कार्यालय में गोष्ठी आयोजित
  • भ्रम में न रहें क्योंकि साफ पानी में ही पनपता है डेंगू का मच्छर
  • खतरे के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी सरकारी चिकित्सालय में जांच व उपचार कराएं

कानपुर  - मच्छर जनित बीमारी और उसकी रोकथाम को लेकर जागरूकता लाने के लिए हर साल देश में 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। इस साल ‘कनेक्ट टू कम्यूनिटी फॉर डेंगू कंट्रोल’ थीम के साथ गुरुवार को जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में एक गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसके साथ ही  वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए आशा कार्यकर्ता क्षेत्र भ्रमण के दौरान घर-घर जाकर “हर रविवार मच्छर पर वार” स्लोगन के जरिये जनमानस को जागरूक भी किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने कहा कि बीमारी कोई भी हो, उसके उपचार से बेहतर उससे बचाव ही होता है और डेंगू के मामले में तो बचाव ही सबसे बड़ा हथियार माना गया है। इस साल की थीम का भी यही उद्देश्य है कि डेंगू की रोकथाम, नियंत्रण व जागरूकता के लिए समुदाय को जोड़कर उनका अपेक्षित सहयोग लिया जाए। आशा कार्यकर्ता द्वारा दिये जा रहे ‘क्या करें, क्या न करें” के संदेशों का अनुपालन भी करें।

संचारी रोगों के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ आरपी मिश्रा ने कहा कि समुदाय में लोगों के इस भ्रम को दूर करना बेहद जरूरी है की डेंगू का मच्छर गंदे पानी में नहीं बल्कि ठहरे हुए साफ पानी में पनपता है। डेंगू, एक वायरल फीवर है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित एडीज़ एजीप्टाइ मच्छर के माध्यम से प्रसारित होता है। 90 प्रतिशत सामान्य वायरल फीवर के मरीज पाये जाते हैं लेकिन 10 प्रतिशत मरीजों में डेंगू के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। यदि समय से जांच व उपचार कराया जाए तो मरीजों को और भी कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया की निजी चिकित्सालयों से भी डेंगू जांच की जानकारी युडीएसपी पोर्टल पर ली जा रही है, डेंगू मरीजों के सही उपचार हेतु सहयोगी संस्था गोदरेज, पाथ-सीएचआरआई द्वारा निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों का प्रशिक्षण कराया गया है !

जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते हैं इनमें पहला क्लासिकल ( साधारण ) डेंगू बुखार होता है जो 5 से 7 दिन बाद स्वयं ठीक हो जाता है और इससे मृत्यु नहीं होती। दूसरा डेंगू हमरेजिक बुखार ( डीएचएफ़ ) है। इसमें साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ नाक , मसूड़ों, से रक्तस्राव या शौच या उल्टी में खून आना इसके लक्षण हैं। एलाइजा जांच परीक्षण में इसकी पुष्टि की जा सकती है। तीसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम ( डीएसएस) है । इसमें हमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ शॉक की अवस्था जैसे अत्यधिक बेचैनी, तेज बुखार के बावजूद त्वचा ठंडी महसूस होना , धीरे धीरे रोगी का होश खोना और ब्लड प्रेशर का कम होना है। यदि सही समय पर सही निदान करके जल्द उपचार शुरू कर दिया जाय तो हमरेजिक या शॉक सिंड्रोम का भी सम्पूर्ण उपचार संभव है।    

इस दौरान सहयोगी संस्था पाथ-सीएचआरआई के आईवीएम समन्वयक सीताराम चौधरी ने प्रस्तुति के माध्यम से बताया की डेंगू के लक्षणों के बावजूद समय से जांच न होने की स्थिति में जब इसका बुखार छठवें से आठवें दिन में पहुंचता है तो खतरा भी ज्यादा बढ़ जाता है, लेकिन ऐसे मरीज भी समय से अस्पताल आएं तो भर्ती कर ठीक हो जाते हैं । गोष्ठी में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यूबी सिंह , जिला कुष्ठरोग अधिकारी डॉ महेश कुमार, डिप्टी सीएमओ डॉ राजेश्वर सिंह सहित सहायक मलेरिया अधिकारी यूपी सिंह, भूपेंद्र सिंह, जिला पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट, सहयोगी संस्था सीफार के प्रतिनिधि एवं स्वास्थ्य विभाग का समस्त स्टाफ मौजूद रहा।

पूरे जिले में जागरूकता संबंधी गतिविधियां आयोजित : सहायक मलेरिया अधिकारी यूपी सिंह ने बताया की राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर गुरूवार को सभी ब्लॉक क्षेत्रों में जागरूकता संबंधी गतिविधियों का आयोजन किया गया।  फैमिली हेल्थ इंडिया द्वारा गोदरेज के सहयोग से संचालित एम्बेड परियोजना के तहत लोगों के बीच यह संदेश दिया गया कि डेंगू का वाहक एडीज मच्छर साफ पानी में पैदा होता है। ऐसे में छत एवं घर के आसपास अनुपयोगी सामग्री इकट्ठा न होने दें। महिला आरोग्य समिति एवं सामुदायिक बैठकों में मच्छर जनित बीमारियों से बचाव हेतु बस्तीवासियों द्वारा उनकी बस्तियों मे मच्छरदानी या अन्य मच्छररोधी सामग्री का उपयोग, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनना और अपने आसपास कहीं भी मच्छरों की पैदाइश न होने देने का संकल्प दिलाया गया l