माहवारी स्वच्छता - महिलाओं की सेहतमंद जिंदगी का आधार



  • माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर हुए जागरूकता संबंधी कार्यक्रम
  • किशोर किशोरियों को दी गयी सटीक जानकारी, सैनिटरी पैड भी बांटें
  • जनपद में 87 फीसदी महिलाएं सुरक्षित माहवारी का अपनाती हैं साधन

कानपुर नगर - मासिक धर्म के दौरान न केवल आराम की आवश्यकता होती है, बल्कि पौष्टिक भोजन का सेवन भी किया जाना चाहिए । बहुत सी लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द और कमजोरी की शिकायत होती है । ऐसी अवस्था में ज्यादा दिक्कत होने पर चिकित्सकीय परामर्श लेते हुए दवाओं के साथ-साथ आराम करना चाहिए । सतर्कता का व्यवहार न अपनाने से कई प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं । मासिक धर्म या माहवारी शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसमें साफ सफाई का विशेष महत्व है। सेहतमंद जिंदगी जीने के लिये माहवारी स्वच्छता बहुत जरूरी है। यह कहना है राष्ट्रीय किशोर/किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के नोडल अधिकारी डॉ सुबोध प्रकाश का।

डॉ सुबोध प्रकाश मंगलवार को माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर जिला महिला अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे । कार्यक्रम में उपस्थित किशोरियों से प्रमुख अधीक्षिका डॉ सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि आमतौर पर महिलाओं में पीरियड 10 से 48 साल की उम्र के बीच में होता है। यह चक्र महीने में एक बार होता है और तीन से पांच दिन तक रहता है। और जब यही चक्र सुचारू रूप से न चले तो इसे अनियमित पीरियड की श्रेणी में रखा जा सकता है । हालाँकि 15-20 दिन की देरी सामान्य ही मानी जाती है, लेकिन यदि यह अंतर महीनों का हो, तो डॉक्टर से सलाह जरुर लें। उन्होंने बताया मासिक धर्म के दौरान अनियमित या शारीरिक बदलाव आए तो तुरंत चिकित्सीय सलाह ले । किसी के कहने पर भी घरेलू उपाय स्वयं ना करें l साथिया केंद्र पर किशोरियों की काउंसलिंग के दौरान किशोरियों व अभिभावकों को मासिक धर्म के प्रति किया जा रहा है। साथ ही अगर किसी भी किशोरी 15-16 साल की उम्र के बीच में मासिक धर्म नहीं आता है तो तुरंत चिकित्सा परामर्श लें।

डीईआईसी प्रबंधक अजीत सिंह ने बताया कि मिशन निदेशक से प्राप्त दिशा निर्देशों के अनुसार जिले में मौजूद समस्त ग्रामीण सहित शहरी स्वास्थ्य केंद्रों व आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में किशोरियों और महिलाओं को माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूक किया गया । लोगों तक यह संदेश पहुंचाया गया कि मासिक धर्म या माहवारी शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें साफ सफाई का विशेष महत्व है। मासिक धर्म के दौरान प्रत्येक चार घंटे में सैनेट्री पैड को अवश्य बदल देना चाहिए । कपड़ों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना है क्योंकि इससे संक्रमण हो सकता है। किशोरी सुरक्षा योजना के तहत सभी केंद्रों पर  किशोरियों को सैनिटरी पैड भी वितरित किये गए। इसमें सहयोगी संस्था पीएसआई इंडिया ने तकनीकी सहयोग भी प्रदान किया।

जिला अस्पताल में संचालित साथिया केंद्र के अर्श काउंसलर अवधेश कुमार द्वारा अपील की गई कि पीरियड फ्रैंडली वर्ल्ड का हैशटैग अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जरूर लगाएं और इस मुद्दे पर चर्चा करें। ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सही जानकारी किशोरियों और महिलाओं को संक्रमण और बीमारियों से बचाती हैं।  इस वर्ष इसकी थीम ‘‘टूगेदर : फॉर अ पीरियड फ्रैंडली वर्ल्ड’’ रखी गई है।

इस दौरान परिवार नियोजन परामर्शदाता रजनी सहित जिला अस्पताल का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।

जनपद की स्थिति : राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच (2019-21) के अनुसार जनपद में 15 से 24 आयु वर्ग की 87.6 फीसदी महिलाएं माहवारी के दौरान सुरक्षित साधनों का इस्तेमाल कर रही हैं। इस स्थिति में और भी सुधार लाने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं को सर्वाइकर कैंसर और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन आदि बीमारियों से बचाया जा सके।