मंडलीय कारागार में चलती है ‘‘मासिक स्वच्छता व्यवहार’’ की पाठशाला



  • जेल में बंद 94 महिलाओं को नियमित उपलब्ध करायी जा रही है सेनेटरी नैपकीन
  • स्वास्थ्य विभाग और स्वयंसेवी संस्थाएं भी जनजागरूकता के जरिये कर रहे हैं सहयोग

गोरखपुर - मंडलीय कारागार की महिला बंदियों को समय समय पर ‘‘मासिक स्वच्छता व्यवहार’’ भी सिखाया जा रहा है। साथ ही जेल में बंद करीब 94 महिला बंदियों को नियमित तौर पर सेनेटरी नैपकीन भी दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग और स्वयंसेवी संस्थाएं भी जनजागरूकता के जरिये इस मुहिम में साथ दे रहे हैं। मंडलीय कारागार प्रशासन की मदद से हुई यह पहल विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं और दफ्तरों के लिए मिसाल बन रही है, जहां से जुड़ी महिलाओं के लिए भी ऐसे प्रयास किये जा सकते हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे का कहना है कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता व्यवहार न अपनाने और कपड़ों का इस्तेमाल करने से महिलाओं में कई प्रकार के संक्रमण का खतरा बना रहता है। ऐसे संक्रमण से प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां भी होती हैं । ऐसे में मंडलीय कारागार द्वारा जो कोशिश की जा रही है वह सराहनीय और अनुकरणीय है। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी समय समय पर जेल में स्वास्थ्य शिविर लगाती हैं । इस दौरान भी महिलाओं को मासिक स्वच्छता की जानकारी दी जाती है। जेल में चिकित्सा अधिकारी और सहयोगी स्टॉफ भी तैनात हैं जिन्हें महिला बंदियों के प्रति विशेष संवेदनशीलता बरतने का दिशा निर्देश दिया गया है।

मंडलीय कारागार के जेलर एके कुशवाहा बताते हैं कि जेल में बंद महिलाओं के लिए खरीददारी कर सेनेटरी नैपकीन उपलब्ध करायी जा रही है।  भारतीय स्टेट बैंक जैसी कुछ अन्य संस्थाएं भी इन महिलाओं को जागरूक करने जेल में आती हैं और समय समय पर पैड भी उपलब्ध कराती हैं। वह बताते हैं कि जेल में महिलाओं के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से  गर्भवती  और छोटे बच्चों को पोषाहार भी दिलवाया जाता है।

श्री कुशवाहा बताते हैं कि ग्रामीण परिवेश से जेल आने वाली कई महिलाएं यहीं पर मासिक धर्म स्वच्छता व्यवहार सीख जाती हैं। जेल में रहने के दौरान कपड़ों की जगह सेनेटरी नैपकीन का इस्तेमाल करने लगती हैं। इससे उनका बीमारियों और संक्रमण से बचाव होता है।

स्वच्छता व्यवहार जरूरी : बिछिया शहरी स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ एके वर्मा का कहना है कि मासिक धर्म स्वच्छता व्यवहार कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है। मासिक धर्म के दौरान प्रत्येक चार घंटे में सेनेटरी पैड को अवश्य बदल देना चाहिए । कपड़ों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना है क्योंकि इससे इंफेक्शन का खतरा रहता है । मासिक धर्म के दौरान निजी अंगों की सफाई अवश्य करनी चाहिए । सतर्कता न बरतने से किशोरियां और महिलाएं सर्वाइकल कैंसर, बांझपन, यूरिनरी इंफैक्शन और ल्यूकिरया जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकती हैं ।