स्तनपान अमृत समान -पियाली भट्टाचार्य



  • स्तनपान शिशु को डायरिया, निमोनिया व कुपोषण  से रखे दूर

लखनऊ - अगस्त का पहला सप्ताह विश्व स्तनपान सप्ताह के रुप में मनाया जा रहा है। इसको लेकर सरकार विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है जिससे समाज मे स्तनपान को लेकर जागरूकता और सही जानकारी दी जा सके इस बार स्तनपान सप्ताह की थीम है इस साल इस सप्ताह की थीम है 'अंतर को कम करना: सभी के लिए स्तनपान सहायता', यानि स्तनपान को सुनिश्चित करने के लिए सब सहयोग करें हम सभी को प्रसूता व धात्री महिलाओं के बीच स्तनपान को बढ़ावा देने, शिशुओं व बच्चों को बीमारी और कुपोषण से बचाने और शिशु मृत्यू दर में कमी लाने के प्रयास करने चाहिए। इसके साथ ही स्तनपान से होने वाले फायदे के बारे में जानकारी का प्रचार प्रसार भी करना चाहिए। ये कहना है बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर पियाली भट्टाचार्य का उन्होने ने बताया कि मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है। मां का दूध शिशु के शाररिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह शिशु को डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डाक्टर पियाली बताती हैं कि मां का दूध नवजात के लिए अमृत है। नवजात को जन्म के आधे घंटे के अंदर गाढ़ा पीला दूध पिलाना आवश्यक है। यह नवजात और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि छह माह तक के बच्चे को केवल स्तनपान और उसके दो साल तक स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार दिया जाए तो बच्चा सुपोषित होगा। 

स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए फायदे : डाक्टर पियाली ने बताया कि स्तनपान कराने से माता को गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए अतिरिक्त वजन को कम करने में मदद मिलती है। जब कोई महिला स्तनपान कराती है तो उसका मस्तिष्क ऑक्सीटोसीन और प्रोलैक्टिन जैसे शांत करने वाले रासायन छोडता है, जो उसे अपने बच्चे के साथ समय बिताते समय तनाव और  चिंता को कम करने में मदद करता है। खास बात यह कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथी के कैंसर, स्ट्रोक, ह्दय रोग, मधुमेह और प्रसवोत्तर अवसाद सहित कई तरह की बीमारी के खतरे को कम करता है।

हड्डियों और अन्य अंगों के विकास में मदद करता है : डाक्टर पियाली ने बताया कि स्तन का दूध ऐसा पदार्थ है जिसमें जीवित स्टेम कोशिकाएं होती है। जो बच्चे के मस्तिष्क, ह्दय, हड्डियों और अन्य अंगों के विकास में मदद करता है। मां का पहला दूध कोलोस्ट्रम में विशिष्ट प्रटीन होते हैं जो बच्चों की आंतों के मार्ग को फायदा पहुंचाते हैं ताकि उसे शुरु से ही हानिकारक बैक्टीरिया और किटाणुओं से बचाने में मदद मिल सके। यही नहीं मां के दूध में एंटीबॉडी और श्वेत रक्त कोशिकाएं होती है जो बच्चे को सभी प्रकार की कम समय में और लंबे समय में होने वाली बीमारियों को बचाता है।