- राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर एक से 19 साल के बच्चों को खिलाई जाएगी दवा - मुकेश कुमार शर्मा
बच्चों के पेट में कीड़े होना एक आम समस्या है, जो बच्चों को कुपोषित बनाने के साथ उनके विकास को भी प्रभावित कर सकती है। इस समस्या को दूर करने के लिए ही सरकार द्वारा कृमि मुक्ति अभियान का आयोजन किया जाता है। इसके तहत एक से 19 साल के बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा अल्बेंडाजोल खिलाई जाती है। अभी यह अभियान यानि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस शनिवार (10 अगस्त) को मनाया जाएगा। इसके तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूलों और घुमंतू परिवारों जैसे- ईंट भट्ठा के व अन्य श्रमिकों के बच्चों को दवा खिलाई जायेगी। इस दवा को बच्चों को जरूर खिलाएं और कुपोषण की जद में आने से सुरक्षित बनायें ताकि आगे चलकर वह राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकें।
शत-प्रतिशत बच्चों को दवा खिलाना सुनिश्चित करने के लिए ही अभियान से जुड़े सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। शिक्षा, पंचायती राज व बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग समेत कई अन्य विभागों और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद भी अभियान को सफल बनाने में ली जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधानों की मदद भी ली जा रही है। इसके अलावा हर स्तर पर व्यापक पैमाने पर प्रचार-प्रसार भी किया गया है ताकि कोई भी लक्षित बच्चा इस खुराक से वंचित न रह जाए। अभियान के दौरान 10 अगस्त को जो बच्चे किसी कारणवश दवा के सेवन से वंचित रह जायेंगे उनको 14 अगस्त को चलाये जाने वाले मॉपअप राउंड में अवश्य दवा खिलाई जाएगी।
बच्चों और किशोर-किशोरियों में खून की कमी की समस्या का एक बड़ा कारण पेट में कीड़े होना भी है। खून की कमी यानि एनीमिया से बच्चों का जहाँ शारीरिक-मानसिक विकास बाधित होता है वहीँ पढ़ाई पर भी उसका असर पड़ता है। इसलिए अल्बेंडाजोल दवा खाने के साथ ही घर व बाहर साफ़-सफाई का पूरा ख्याल रखें, बच्चों को हाथ धुलने का सही तरीका सिखाएं और बचपन से ही उनकी आदत में शामिल करें कि खाना खाने से पहले और शौच के बाद अच्छी तरह से हाथों को अवश्य धुलें। घर में सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धुलकर ही इस्तेमाल करें। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2020-21) के अनुसार उत्तर प्रदेश में छह से 59 माह के 66.4 प्रतिशत बच्चों का हीमोग्लोबिन स्तर 11 ग्राम से कम पाया गया तो 15 से 49 साल की 50.6 प्रतिशत युवतियों (नान प्रेग्नेंट) का हीमोग्लोबिन स्तर 12 ग्राम से कम पाया गया। इसी तरह से 28.2 प्रतिशत 15 से 19 साल के किशोर और 52.9 प्रतिशत किशोरियां एनीमिक पायी गयीं, जिसमें सुधार लाने का सरकार हरसम्भव प्रयास कर रही है।
स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूल में और स्कूल न जाने वाले बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाई जायेगी। एक से दो साल की उम्र के बच्चों को एलबेंडाजोल की आधी गोली और दो से तीन साल की आयु के बच्चों को एक गोली चूरा बनाकर खिलाई जायेगी। तीन से 19 साल की उम्र के बच्चों को एक गोली चबाकर खिलाई जायेगी। दवा खाने के बाद यदि किसी बच्चे में दवा के प्रतिकूल प्रभाव जैसे- उल्टी, जी मिचलाना, चक्कर आना, पेट में दर्द आदि दिखाई दे तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब है कि पेट में कीड़ों की संख्या अधिक है और उनके नष्ट होने से यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दे रहे हैं। ऐसा होने पर बच्चे को खुले एवं छायादार स्थान पर थोड़ी देर के लिए लिटा दें और साफ़ स्वच्छ पेयजल दें। कुछ ही समय में यह प्रतिकूल प्रभाव खत्म हो जायेंगे। ऐसे प्रतिकूल प्रभाव के प्रबन्धन के लिए टीम भी ब्लाक और जनपद स्तर पर तैनात रहेंगी, किसी भी तरह की दिक्कत होने पर टीम से सम्पर्क कर सकते हैं।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं)