- एएचएम डफ़रिन अस्पताल सहित दो नगरीय स्वास्थ्य केंद्रों में होगा विकसित
- हर माह नौ सदस्यीय समिति करेगी समीक्षा
कानपुर नगर - जिले के महिला अस्पताल यानि एएचएम डफ़रिन और नगरीय पीएचसी ग्वालटोली व कल्याणपुर बैरी में संचालित नियमित टीकाकरण केंद्र मॉडल टीकाकरण केंद्र के रूप में विकसित होगा। जिससे लोगों को गुणवत्तापूर्ण एवं खुशनुमा वातावरण में टीकाकरण की सुविधा मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण का दर कम है। इसीलिये राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन का मुख्य उद्देश्य शहरी, खासकर स्लम बस्तियों में रहने वालों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। जिसमें गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान देना है। यह जानकारी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ यूबी सिंह ने दी है।
शिशुओं के साथ गर्भवती महिलाओं को दिए जाएंगे टीके : डीआईओ ने बताया की मॉडल टीकाकरण केंद्र के रूप में विकसित होने से लोगों को गुणवत्तापूर्ण एवं खुशनुमा वातावरण में टीकाकरण की सुविधा मिलेगी। सरकार व स्वास्थ्य विभाग का मुख्य उद्देश्य नवजात शिशुओं में शत प्रतिशत टीकाकरण कराना है। जिसके प्रति आम लोगों को जागरूक करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। साथ ही गुणवत्तापूर्ण तरीके से टीकाकरण की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराया जाना है। इन टीकाकरण कार्नर में गर्भवती महिलाओं और जन्म के बाद के शिशुओं को टीका दिया जाएगा जो पूरी तरह नि:शुल्क होगा।
आधुनिक सुविधाओं से रहेगा सुसज्जित : उन्होंने बताया कि मॉडल टीकाकरण केंद्रों में बच्चों को खेल-खेल में टीका देने के उद्देश्य से दीवारों पर कई कार्टून कैरेक्टर बनाकर उनके मनोरंजन का ख्याल रखने का प्रयास किया गया है। इससे सरकारी केंद्रों में टीकाकरण कराने से परहेज करने वाले इसके प्रति आकर्षित होंगे। स्वच्छ एवं बेहतर वातावरण में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होगा। इन केंद्रों में बच्चों को सुलाने, समुचित प्रकाश की व्यवस्था, टीकाकरण कराने के लिए आने वाली माताओं तथा अभिभावकों के बैठने की व्यवस्था होगी। कर्मियों के बैठने की व्यवस्था के अलावा वैक्सीन के रख-रखाव की समुचित व्यवस्था की गयी है और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। साथ ही टीकाकरण के फायदों को बोर्ड- पोस्टर के माध्यम से भी बताया जायेगा।
नौ सदस्यीय समिति प्रति माह करेगी समीक्षा : डीआईओ ने बताया की इन केंद्रों की समीक्षा करने के लिए प्रति माह नौ सदस्यीय टीम बैठक करके चर्चा करेगी। उन्होंने बताया की समिति के सदस्यों में शामिल होंगे अध्यक्ष - मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सह अध्यक्ष - जिला प्रतिरक्षण अधिकारी। इनके अलावा एनयूएचएम् नोडल, तीनों मॉडल केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, शहरी आरआई नोडल, जिला क़्वालिटी सलाहकार, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बालरोग विभाग व स्त्रीरोग विभाग के विभागाध्यक्ष और सहयोगी संस्था डब्ल्यूएचओ/यूएनडीपी/यूनिसेफ/यूपीटीएसयू के प्रतिनिधि। उन्होंने बताया की समीक्षा में केंद्र के रख रखाव, शिकायत समाधान मानव संसाधन एवं प्रशिक्षण, टीकाकरण के कवरेज आदि पर बात होगी।
इन मानकों पर विकसित होंगे केंद्र :
- समरूपता बनाये रखने के लिए सभी केन्द्रों की दीवार रोबिन ब्लू रंग से रंगी जायेगी।
- कमरे की सीलिंग में फाल्स सीलिंग एलइडी लाइट के साथ लगायी जाएगी।
- वायरिंग छुपी हुई और मॉडउलर स्विच एवं बोर्ड लगाया जायेगे ।
- कमरे में एसी लगाया जाएगा ।
- टीकाकरण से सम्बंधित जानकारियों वाले विनायल बोर्ड दीवारों पर फिक्स किया जाएंगे।
- टीकाकरण से सम्बंधित सामग्रियों को रखने के लिए 2 अलमारियों की व्यवस्था होगी ।
- कक्ष के बाहर केंद्र का नाम, स्थान एवं उत्तरप्रदेश सरकार और स्वास्थ्य समिति के लोगों के साथ वाली लाइटयुक्त बोर्ड लगाया जाएगा।
सरकारी प्रावधानों के तहत लगते हैं यह टीके : डीआईओ ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में बच्चों को बारह प्रकार की बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं। ओपीवी बच्चे के जन्म के समय, डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन और सोलह से चौबीस माह के बीच, आरवीवी जन्म के डेढ़ माह, ढाई माह और साढ़े तीन माह पर, एमआर नौ माह व सोलह से चौबीस माह के बीच, एफआईपीवी डेढ़ माह व साढ़े तीन माह पर, पीसीवी डेढ़ माह, साढ़े तीन माह और नौ माह पर, डीपीटी सोलह से चौबीस माह व पांच वर्ष पर, विटामिन ए नौ माह, सोलह से चौबीस माह, दो से पांच वर्ष तक हर छह माह के अंतराल पर, टीडी का टीका दस वर्ष व सोलह वर्ष पर, बीसीजी का टीका जन्म के समय, जेई का टीका नौ माह व सोलह से चौबीस माह पर, हेपेटाइटिस बी का टीका जन्म के समय और पेंटावेलेंट का टीका डेढ़ माह, ढाई माह और साढ़े तीन माह की उम्र में लगाया जाता है।