सक्रिय क्षय रोगियों को खोजने के लिए नौ सितम्बर से चलेगा अभियान



कानपुर नगर - स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में घर में छुपे बैठे टीबी के मरीजों को खोजने के लिए अभियान चलेगा। टीम घर-घर जाएगी और बीमारी लोगों को टीबी के लक्षण बताकर जांच करेगी। संदिग्ध मिलने पर स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच होगी। टीबी की पुष्टि होने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनका उपचार शुरू किया जाएगा। यह बातें जिले में बुधवार को जिला क्षयरोग केंद्र में चल रहे प्रशिक्षण के दौरान कहीं गयीं।

पता हो की जिले की 20 प्रतिशत आबादी की टीबी स्क्रीनिंग अभियान के तहत टीबी स्क्रीनिंग की जाएगी। इस बार 10.50 लाख जनसंख्या की स्क्रीनिग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मदरसों, ईद भट्ठों, अनाथालय, फल मंडी, सब्जी मंडी, निमार्णाधीन भवन, घने आबादी वाले इलाकों में लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। जिले में नौ से 20 सितंबर तक सक्रिय मरीज खोजो अभियान चलेगा। इसमें 320  टीमें घर-घर भ्रमण कर टीबी रोगी खोजेंगी। इन टीमों पर 63 सुपरवाइजर काम की निगरानी करेंगे। एक टीम में तीन सदस्य रहेंगे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए क्षयरोग विभाग के जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि एसीएफ अभियान के तहत तीन सदस्यों की टीम माइक्रोप्लान के अनुसार संबंधित क्षेत्र में पहुंच कर टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी देगी। टीबी के संभावित रोगियों को बलगम जांच के लिए प्रेरित किया जाएगा और जांच करवा कर बीमारी मिलने पर इलाज की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि एसीएफ के दौरान घर घर जाकर स्क्रीनिंग करने पर टीम के प्रत्येक सदस्य 150 रुपये दिये जाएंगे। मरीज की पुष्टि होने पर 200 रुपये प्रति सदस्य को दिये जाएंगे। टीम को मरीजों से दो प्रकार से बलगम लेना है। पहला बलगम तुरंत इकट्ठा करना है, जबकि दूसरा बलगम का सैम्पल बिना कुल्ला किये हुए इकट्ठा करना है। अभियान के दौरान एक टीम को कम से कम पचास घर का विजिट करना होगा और प्रत्येक घर की मार्किंग भी करना है।

उन्होंने बताया की यह अभियान सभी 26 क्षयरोग इकाईयों में आने वाले समस्त क्षेत्रों में चलेगा। उन्होंने कहा कि वैसे तो सभी जगह पूरी गहनता से अभियान में सक्रीय रहते हुए टीबी मरीजों की खोज करनी है पर टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के तहत चुनी गयीं ग्राम पंचायतों में ज्यादा से ज्यादा क्षयरोगियों की खोज करने के प्रयास किये जायेंगे।

जिला क्षयरोग अधिकारी की अपील : जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा ने कहा की वर्ष 2025 तक जिले में टीबी का उन्मूलन हो सके, इसके लिए विभागीय प्रयासों के साथ समुदाय के स्तर से सहयोग मिलना नितांत आवश्यक है। लोगों से अपील है कि वह घर-घर घूम रही आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को टीबी के संभावित लक्षण वाले मरीजों के बारे में जरूर बताएं। इस टीम की मदद से मरीजों की न केवल जांच हो सकेगी, बल्कि सम्पूर्ण इलाज भी संभव होगा।’उन्होंने कहा कि अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक तक खांसी आ रही है तो वह टीबी का मरीज भी हो सकता है। ध्यान रखना है कि खांसी का ऐसा हर मरीज टीबी का रोगी नहीं होता है, लेकिन अगर यह लक्षण है तो टीबी की जांच करूर कराई जानी चाहिए। इसके अलावा बलगम में खून, सांस फूलना, तेजी के साथ वजन गिरना, भूख न लगना, रात में पसीने के साथ बुखार आना जैसे लक्षण भी टीबी में नजर आते हैं। अगर किसी के परिवार का कोई सदस्य या पड़ोसी व रिश्तेदार इन लक्षणों से ग्रसित है तो उसे जांच के लिए प्रोत्साहित करना है। अगर ऐसे लोगों की समय से जांच हो जाए और इलाज हो तो वह न केवल वह ठीक हो जाते हैं, बल्कि दूसरे लोग भी टीबी संक्रमित होने से बच जाते हैं।